यह माँ भारत का रत्न था, प्रखर राष्ट्रवाद का अटल था | हिंदी कविता

"यह माँ भारत का रत्न था, प्रखर राष्ट्रवाद का अटल था, अंधेरो के तुफानों से न झुका था, ले हाथ मे केसरिया निकल पडा था। रग रग मे भारत हिंदू का परिचय था, मुखसे प्रखर राष्ट्रप्रेम वकृत्व तेज था, हदय कमल पर विनम्रता का भाव था, समरसता भाव अटलजी का आवज था। ,अमोल तपासे, नागपूर ©Amol Tapase"

 यह माँ भारत का रत्न था,
प्रखर राष्ट्रवाद का अटल था,
अंधेरो के तुफानों से न झुका था,
ले हाथ मे केसरिया निकल पडा था।

रग रग मे भारत हिंदू का परिचय था,
मुखसे प्रखर राष्ट्रप्रेम वकृत्व तेज था,
हदय कमल पर विनम्रता का भाव था,
समरसता भाव अटलजी का आवज था।

,अमोल तपासे, नागपूर

©Amol Tapase

यह माँ भारत का रत्न था, प्रखर राष्ट्रवाद का अटल था, अंधेरो के तुफानों से न झुका था, ले हाथ मे केसरिया निकल पडा था। रग रग मे भारत हिंदू का परिचय था, मुखसे प्रखर राष्ट्रप्रेम वकृत्व तेज था, हदय कमल पर विनम्रता का भाव था, समरसता भाव अटलजी का आवज था। ,अमोल तपासे, नागपूर ©Amol Tapase

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