अमूर्त्त बुद्धि, प्रकृति के सम्पर्क में पनपती है। | हिंदी विचार

"अमूर्त्त बुद्धि, प्रकृति के सम्पर्क में पनपती है। देखो ! कवि की दुनियां उजड़ रही है। -Shwati pandey🌿"

 अमूर्त्त बुद्धि,
प्रकृति के सम्पर्क में पनपती है।
देखो ! कवि की दुनियां उजड़ रही है।
-Shwati pandey🌿

अमूर्त्त बुद्धि, प्रकृति के सम्पर्क में पनपती है। देखो ! कवि की दुनियां उजड़ रही है। -Shwati pandey🌿

कवि की दुनिया....!
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