वो मुझको क्या समझना चाहता है जो औरो से उलझना चाहत | हिंदी शायरी
"वो मुझको क्या समझना चाहता है
जो औरो से उलझना चाहता है
और गर तुम्हें,मुझे समझने का हो शौख-ए-दिल
तो चली आ अगर तू सुलझना चाहता है l.......
-अमरजीत कुशवाहा"
वो मुझको क्या समझना चाहता है
जो औरो से उलझना चाहता है
और गर तुम्हें,मुझे समझने का हो शौख-ए-दिल
तो चली आ अगर तू सुलझना चाहता है l.......
-अमरजीत कुशवाहा