वो मुझको क्या समझना चाहता है
जो औरो से उलझना चाहता है
और गर तुम्हें,मुझे समझने का हो शौख-ए-दिल
तो चली आ अगर तू सुलझना चाहता है l.......
-अमरजीत कुशवाहा
मेरी फ़िक्र मे अभी असर और बाकी है l
मैं जानता हूं मोहब्बत है तुम्हें मुझ से
मगर इसमें कसर और बाकी है l
और अभी तो तुम संग मेरे इश्क़ के करवा पे निकली हो
अभी तो सफर और बाकी है l
दिल से निकालने से, कोई निकलता है क्या
मेरी तरह तेरी इश्क़ मे कोई,और जलता है क्या?
ये तो वफ़ाओ का खेल है साहेब
मेहनत करने से मिल जाये, कोई सफलता है क्या?
और लाख देशभक्ति हो आपको अपने मुल्क के खातिर
लेकिन जब ललकारा न जाये, तो खून यूं ही खौलता है क्या?
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