जी रहे हैं इसी आस में कि नजर अब कोई आस न आए,
राम करे अपने हिस्से में फिर से कोई वनवास न आये।
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मेरी खामोश आंखों को !!
ना जाने किसकी तालास है !!
दिल की गहराइयो मे ...!!
उठी अनजानी सी प्यास है !!
दिल के तहखानो से.....!!
आती एक आवाज है !!
जीसे ढूँढते रहे जन्मो जन्म !!
उस खुदा की तालास है !!
मेरी खामोश आंखों को !!
ना जाने किसकी तालास है !!
दिल की गहराइयो मे ...!!
उठी अनजानी सी प्यास है !!
दिल के तहखानो से.....!!
आती एक आवाज है !!
जीसे ढूँढते रहे जन्मो जन्म !!
उस खुदा की तालास है !!
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है मुमकिन कि तुझको कोई मंजर ना मिलेगा
प्यासा ही भटकेगा कोई समन्दर ना मिलेगा
पूरी दुनिया में ढूँढ़ के जब लौटेगा कभी तू
याद रखना तू खुद भी कभी तेरे अंदर ना मिलेगा
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