मेरे हृदय में उतना ही प्रेम अब भी विद्यमान हैं जित | हिंदी Poetry

"मेरे हृदय में उतना ही प्रेम अब भी विद्यमान हैं जितना तुम्हारे साथ होने पर था यूँ कह लो कुछ नही बदला मेरे भीतर ना तुमसे प्रेम करने की आदत ना ही तुम्हारे लौट आने की आस आज भी तुम्हारी प्रतीक्षा मे बैठी हूँ कि तुम आओगे एक दिन मेरे भीतर के टूटे हृदय को जोड़ने तुम आओगे उसे पूरा करने जो शेष रह गया हैं हम दोनो के भीतर तुम समझोगे मेरे मन की व्यथा और असहनीय पीड़ा लगा लोग मुझे गले मिलते ही कह दोगे एक बार हमारा बिछड़ना एक बुरा स्वप्न था जो फिर कभी नही आयेगा दुबारा हमारे जीवन में इस आस में अब भी बैठी हूँ तुम्हारी राह तकते Waiting for you.... ©पूर्वार्थ"

 मेरे हृदय में उतना ही प्रेम
अब भी विद्यमान हैं
जितना तुम्हारे साथ होने पर था
यूँ कह लो
कुछ नही बदला मेरे भीतर
ना तुमसे प्रेम करने की आदत
ना ही तुम्हारे लौट आने की आस
आज भी तुम्हारी प्रतीक्षा मे बैठी हूँ कि
तुम आओगे एक दिन
मेरे भीतर के टूटे हृदय को जोड़ने
तुम आओगे उसे पूरा करने
जो शेष रह गया हैं
हम दोनो के भीतर
तुम समझोगे
मेरे मन की व्यथा
और असहनीय पीड़ा
लगा लोग मुझे गले
मिलते ही
कह दोगे एक बार
हमारा बिछड़ना
एक बुरा स्वप्न था
जो फिर कभी नही आयेगा
दुबारा हमारे जीवन में
इस आस में अब भी बैठी हूँ
तुम्हारी राह तकते
Waiting for you....

©पूर्वार्थ

मेरे हृदय में उतना ही प्रेम अब भी विद्यमान हैं जितना तुम्हारे साथ होने पर था यूँ कह लो कुछ नही बदला मेरे भीतर ना तुमसे प्रेम करने की आदत ना ही तुम्हारे लौट आने की आस आज भी तुम्हारी प्रतीक्षा मे बैठी हूँ कि तुम आओगे एक दिन मेरे भीतर के टूटे हृदय को जोड़ने तुम आओगे उसे पूरा करने जो शेष रह गया हैं हम दोनो के भीतर तुम समझोगे मेरे मन की व्यथा और असहनीय पीड़ा लगा लोग मुझे गले मिलते ही कह दोगे एक बार हमारा बिछड़ना एक बुरा स्वप्न था जो फिर कभी नही आयेगा दुबारा हमारे जीवन में इस आस में अब भी बैठी हूँ तुम्हारी राह तकते Waiting for you.... ©पूर्वार्थ

#waiting

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