ग़ज़ल
फासला जैसे की सजा कोई ।
जो मिले ग़र सनम अत़ा कोई।।
अब नज़र भी झुकी झुकी सी हैं ,
थाम कर हाथ मेरा मिला कोई ।।
क्यूँ थमी सी लगे हमे साँसे ,
टल गया फिर से हादसा कोई।।
दौर थम सा गया वफाओ का ,
मोहबत में अजी रूठा कोई।।
ना अपेक्षा छुपा कलम तेरी ,
लिख ग़जल मे तू दुआ कोई ।।
Apeksha Vyas
©Apekshavyas
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