ग़ज़ल फासला जैसे की सजा कोई । जो मिले ग़र सनम अत | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल फासला जैसे की सजा कोई । जो मिले ग़र सनम अत़ा कोई।। अब नज़र भी झुकी झुकी सी हैं , थाम कर हाथ मेरा मिला कोई ।। क्यूँ थमी सी लगे हमे साँसे , टल गया फिर से हादसा कोई।। दौर थम सा गया वफाओ का , मोहबत में अजी रूठा कोई।। ना अपेक्षा छुपा कलम तेरी , लिख ग़जल मे तू दुआ कोई ।। Apeksha Vyas ©Apekshavyas"

 ग़ज़ल 

फासला जैसे की सजा कोई ।
जो मिले ग़र सनम अत़ा कोई।।

अब नज़र भी झुकी झुकी सी हैं ,
थाम कर हाथ मेरा मिला कोई ।।

क्यूँ थमी सी लगे हमे साँसे ,
टल गया फिर से हादसा कोई।।

दौर थम सा गया वफाओ का ,
मोहबत में अजी रूठा कोई।।

ना अपेक्षा छुपा कलम तेरी ,
लिख ग़जल मे तू दुआ कोई ।।
Apeksha Vyas

©Apekshavyas

ग़ज़ल फासला जैसे की सजा कोई । जो मिले ग़र सनम अत़ा कोई।। अब नज़र भी झुकी झुकी सी हैं , थाम कर हाथ मेरा मिला कोई ।। क्यूँ थमी सी लगे हमे साँसे , टल गया फिर से हादसा कोई।। दौर थम सा गया वफाओ का , मोहबत में अजी रूठा कोई।। ना अपेक्षा छुपा कलम तेरी , लिख ग़जल मे तू दुआ कोई ।। Apeksha Vyas ©Apekshavyas

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