मुझे मुझसा ही रहने दे,
तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं।
मुझे बना सके तो आज बना अपना,
तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं।
ये क्या लगा रखा है बार बार
आना और जाना मेरी जिंदगी में,
तेरे सारे पैंतरे समझता हूं
पागल नहीं हूं मैं।
©अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
मुझे मुझसा ही रहने दे,
तेरे रकीब की नक़ल नहीं हूं मैं।
मुझे बना सके तो आज बना अपना,
तेरा बीता हुआ कल नहीं हूं मैं।
ये क्या लगा रखा है बार बार
आना और जाना मेरी जिंदगी में,
तेरे सारे पैंतरे समझता हूं
पागल नहीं हूं मैं।