आज मिलन हो रहा है सखी नयन संग नयन का , बुझा लेने | हिंदी कविता

"आज मिलन हो रहा है सखी नयन संग नयन का , बुझा लेने दो जो धधक रहा शोला बिरह अगन का ।। साक्ष बन रहे ये धरती आकाश प्रेम के मिलन का , वर्षों से किया इंतजार सखी इस सोलहवे सावन का ।। चलती ये ठंडी हवायें भी चाहतीं हो मिलन योवन का , मत रोक सखी लेने दे आनंद प्रिय संग आलिंगन का ।। ©Kumar.vikash18"

 आज मिलन हो रहा है सखी
नयन संग नयन का ,

बुझा लेने दो जो धधक रहा
शोला बिरह अगन का ।।


साक्ष बन रहे ये धरती आकाश
प्रेम के मिलन का ,

वर्षों से किया इंतजार सखी इस
सोलहवे सावन का ।।


चलती ये ठंडी हवायें भी चाहतीं
हो मिलन योवन का ,

मत रोक सखी लेने दे आनंद प्रिय
संग आलिंगन का ।।

©Kumar.vikash18

आज मिलन हो रहा है सखी नयन संग नयन का , बुझा लेने दो जो धधक रहा शोला बिरह अगन का ।। साक्ष बन रहे ये धरती आकाश प्रेम के मिलन का , वर्षों से किया इंतजार सखी इस सोलहवे सावन का ।। चलती ये ठंडी हवायें भी चाहतीं हो मिलन योवन का , मत रोक सखी लेने दे आनंद प्रिय संग आलिंगन का ।। ©Kumar.vikash18

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