रचना दिनांक,,,,11,,,,,10,,,,2024 वार ,,,,, शुक्रव | हिंदी भक्ति

"रचना दिनांक,,,,11,,,,,10,,,,2024 वार ,,,,, शुक्रवार समय,,,, सुबह आठ बजे ््््निज विचार ्््् ्््््ववशीर्षक ्््््् ््््भावचित्र मां सिद्धिदात्री के मनोरम शारदीय नवरात्र पर्व काल का ,, नवम दिवस नवदात्री सिध्दीप्रदायनी सिद्ध कवच सिध्दीसाधक तंत्र, मंत्र, यंत्र , सभी जीवों में मनुष्य त्तत्व ज्ञान दर्शन में एक स्वर ऐं ध्वनि में चराचर जगत सृष्टि में ,, जो प्राणतत्व मूकदर्शक बने हैं ््् वहीं है इन्सान का जिन्स और जानवर या अन्य किसी भी प्रकार के चराचर जगत में, जींव जीवाश्म प्राणी जन्तु जगत में, एक समान जिन्स सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती प्राणतत्व प्रतिमान स्थापित होते हैं ्् जो जीवन में जन्म से नहीं बल्कि आत्मिक शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति कर्म से ,, भाग्य विधाता सर्वग्य की असीम कृपा से जन्मा विचार सच ही जिंदगी कहा गया है।। हमें यह भी समझना जरूरी है जो जीवन का कमंयोग आधार सूत्र है वह अदभुत है,, जो भूखे को रोटी और प्यासे को पानी निर्धन व्यक्ति को कपड़े ,, और रहने वाले को मकान गृहप्रवेश से अपनी रूह में वक्त नहीं ज़रुरत पर आधारित जिंदगी में , प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी आमदनी का दश्मांश पीड़ित, रोगी, कौड़ी, असहाय ,और अनाथ बच्चों और विकलांग बच्चों में अपने कर्म से ,यथाशक्ति अन्नदान महादान जो हो सके उतना ही सुन्दर आंनद है।। ,,जो शेष है अवशेष है जो हरि के हर में,,काल के भाल में,, पल क्षण के घटी प्रति विष और अमृत घट घट में ,, लूफ्त उठाते परिजन में गुजर रही आकुलता से ,व्याकूलता में गुजर रही चींटी से भी अधिक समय तक यात्रा गतिशील रहती है ।। लेकिन सूखद परिणाम एक जूटता एकता का परिसूत्र है ।। पर्वकाल, त्योहार, जिसे आप और हम दिलों से एकजुट होकर,, ईश्वरीय वरदान से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें।। जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है।। जिसका परिपालन देश के नागरिकों को अपनी दिशा लेकर चलते हुए अन्तिम समय तक जीवित रहे तब तक का मन्सुबे को राह दिखाने वाले ईश्वर सत्य है।। अन्तिम यात्रा परिवर्तन शील समाज में सुधार हो,, यही संकल्प सिद्धी ऐकत्व एकमेव नियती स्वसंगठन , निष्ठ विदूषियो विचार सच सनातन विचार में निहित युग परिवर्तन है।। यही सच्चाई देखकर सहसा ही जिंदगी में एक पड़ाव गुज़र गया है,, यही खुशहाली में वक्त लगता है।। दिलचस्प बात यह कि इन्सान को इन्सान अपना समझते हुए ,, जीवन सफल बनाएं यही सही अर्थों में शब्द से जन्मा विचार सच है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 11,,,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand"

 रचना दिनांक,,,,11,,,,,10,,,,2024
वार  ,,,,, शुक्रवार
समय,,,, सुबह   आठ   बजे
््््निज विचार ््््
्््््ववशीर्षक ््््््
््््भावचित्र मां सिद्धिदात्री के मनोरम शारदीय  नवरात्र  पर्व  काल  का ,,
 नवम दिवस नवदात्री सिध्दीप्रदायनी सिद्ध कवच सिध्दीसाधक तंत्र, मंत्र, यंत्र , 
सभी जीवों में मनुष्य त्तत्व ज्ञान दर्शन में एक स्वर ऐं ध्वनि में चराचर जगत सृष्टि में ,,
जो प्राणतत्व मूकदर्शक बने हैं ्््
वहीं है इन्सान का जिन्स और जानवर या अन्य किसी भी प्रकार के चराचर जगत में, 
जींव जीवाश्म प्राणी जन्तु जगत में,
एक समान जिन्स सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती प्राणतत्व प्रतिमान स्थापित होते हैं ््
जो जीवन में जन्म से नहीं बल्कि आत्मिक शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति कर्म से ,,
भाग्य विधाता सर्वग्य की असीम कृपा से जन्मा विचार सच ही जिंदगी कहा गया है।।
हमें यह भी समझना जरूरी है जो जीवन का कमंयोग आधार सूत्र है वह अदभुत है,,
जो भूखे को रोटी और प्यासे को पानी निर्धन व्यक्ति को कपड़े ,,
और रहने वाले को मकान गृहप्रवेश से अपनी रूह में वक्त नहीं ज़रुरत पर आधारित जिंदगी में ,
प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी आमदनी का दश्मांश पीड़ित, रोगी, कौड़ी, असहाय ,और अनाथ बच्चों 
और विकलांग बच्चों में अपने कर्म से ,यथाशक्ति अन्नदान महादान जो हो सके उतना ही सुन्दर आंनद है।।
,,जो शेष है अवशेष है जो हरि के हर में,,काल के भाल में,,
पल क्षण के घटी प्रति विष और अमृत घट घट में ,,
लूफ्त उठाते परिजन में गुजर रही आकुलता से ,व्याकूलता में गुजर रही
 चींटी से भी अधिक समय तक यात्रा गतिशील रहती है ।।
लेकिन सूखद परिणाम एक जूटता एकता का परिसूत्र है ।।
पर्वकाल, त्योहार, जिसे आप और हम दिलों से एकजुट होकर,,
 ईश्वरीय वरदान से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें।।
 जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है।।
जिसका परिपालन देश के नागरिकों को अपनी दिशा लेकर चलते हुए 
अन्तिम समय तक जीवित रहे तब तक का मन्सुबे को राह दिखाने वाले ईश्वर सत्य है।।
अन्तिम यात्रा परिवर्तन शील समाज में सुधार हो,,
यही संकल्प सिद्धी ऐकत्व एकमेव नियती स्वसंगठन ,
निष्ठ विदूषियो विचार सच सनातन विचार में निहित युग परिवर्तन है।।
यही सच्चाई देखकर सहसा ही जिंदगी में एक पड़ाव गुज़र गया है,,
यही खुशहाली में वक्त लगता है।।
दिलचस्प बात यह कि इन्सान को इन्सान अपना समझते हुए ,,
जीवन सफल बनाएं यही सही अर्थों में शब्द से जन्मा विचार सच है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
11,,,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

रचना दिनांक,,,,11,,,,,10,,,,2024 वार ,,,,, शुक्रवार समय,,,, सुबह आठ बजे ््््निज विचार ्््् ्््््ववशीर्षक ्््््् ््््भावचित्र मां सिद्धिदात्री के मनोरम शारदीय नवरात्र पर्व काल का ,, नवम दिवस नवदात्री सिध्दीप्रदायनी सिद्ध कवच सिध्दीसाधक तंत्र, मंत्र, यंत्र , सभी जीवों में मनुष्य त्तत्व ज्ञान दर्शन में एक स्वर ऐं ध्वनि में चराचर जगत सृष्टि में ,, जो प्राणतत्व मूकदर्शक बने हैं ््् वहीं है इन्सान का जिन्स और जानवर या अन्य किसी भी प्रकार के चराचर जगत में, जींव जीवाश्म प्राणी जन्तु जगत में, एक समान जिन्स सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती प्राणतत्व प्रतिमान स्थापित होते हैं ्् जो जीवन में जन्म से नहीं बल्कि आत्मिक शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति कर्म से ,, भाग्य विधाता सर्वग्य की असीम कृपा से जन्मा विचार सच ही जिंदगी कहा गया है।। हमें यह भी समझना जरूरी है जो जीवन का कमंयोग आधार सूत्र है वह अदभुत है,, जो भूखे को रोटी और प्यासे को पानी निर्धन व्यक्ति को कपड़े ,, और रहने वाले को मकान गृहप्रवेश से अपनी रूह में वक्त नहीं ज़रुरत पर आधारित जिंदगी में , प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी आमदनी का दश्मांश पीड़ित, रोगी, कौड़ी, असहाय ,और अनाथ बच्चों और विकलांग बच्चों में अपने कर्म से ,यथाशक्ति अन्नदान महादान जो हो सके उतना ही सुन्दर आंनद है।। ,,जो शेष है अवशेष है जो हरि के हर में,,काल के भाल में,, पल क्षण के घटी प्रति विष और अमृत घट घट में ,, लूफ्त उठाते परिजन में गुजर रही आकुलता से ,व्याकूलता में गुजर रही चींटी से भी अधिक समय तक यात्रा गतिशील रहती है ।। लेकिन सूखद परिणाम एक जूटता एकता का परिसूत्र है ।। पर्वकाल, त्योहार, जिसे आप और हम दिलों से एकजुट होकर,, ईश्वरीय वरदान से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें।। जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है।। जिसका परिपालन देश के नागरिकों को अपनी दिशा लेकर चलते हुए अन्तिम समय तक जीवित रहे तब तक का मन्सुबे को राह दिखाने वाले ईश्वर सत्य है।। अन्तिम यात्रा परिवर्तन शील समाज में सुधार हो,, यही संकल्प सिद्धी ऐकत्व एकमेव नियती स्वसंगठन , निष्ठ विदूषियो विचार सच सनातन विचार में निहित युग परिवर्तन है।। यही सच्चाई देखकर सहसा ही जिंदगी में एक पड़ाव गुज़र गया है,, यही खुशहाली में वक्त लगता है।। दिलचस्प बात यह कि इन्सान को इन्सान अपना समझते हुए ,, जीवन सफल बनाएं यही सही अर्थों में शब्द से जन्मा विचार सच है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 11,,,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#navratri भक्ति सागर
कवि शैलेंद्र आनंद

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