White एक कमरे जैसा वीरान मेरा मन जिसमें कुछ ख्वाहि | हिंदी शायरी

"White एक कमरे जैसा वीरान मेरा मन जिसमें कुछ ख्वाहिशें-कुछ सपनें कुछ राश्तें-कुछ मंजिलें गली से गुजर कर चौखट पर खड़ी थी, रात का सूनापन हवाओं की सरसराहट आँखों का धुंधलापन मन का वहम सब मचमचा रहें थे, ये कमरें की वीरानी नही गलियों के दृश्य बता रहें थे, ख्वाहिशें मेरी बैग के अंदर कंधे पर टँगी हैं सपनें सांसो के हलचल से जुड़ी हैं अभी राह के तिनके से भी डर जाती हूँ सच कह रही हूं मैं मंजिल पे नही सफर में ही मर जाती हूं, माधवी मधु ©madhavi madhu"

 White एक कमरे जैसा वीरान मेरा मन जिसमें
कुछ ख्वाहिशें-कुछ सपनें
कुछ राश्तें-कुछ मंजिलें
गली से गुजर कर
चौखट पर खड़ी थी,

रात का सूनापन
हवाओं की सरसराहट
आँखों का धुंधलापन
मन का वहम
सब मचमचा रहें थे,

ये कमरें की वीरानी नही
गलियों के दृश्य बता रहें थे,

ख्वाहिशें मेरी बैग के अंदर
कंधे पर टँगी हैं
सपनें सांसो के हलचल से जुड़ी हैं
अभी राह के तिनके से भी डर जाती हूँ
सच कह रही हूं
मैं मंजिल पे नही सफर में ही मर जाती हूं,
                        माधवी मधु

©madhavi madhu

White एक कमरे जैसा वीरान मेरा मन जिसमें कुछ ख्वाहिशें-कुछ सपनें कुछ राश्तें-कुछ मंजिलें गली से गुजर कर चौखट पर खड़ी थी, रात का सूनापन हवाओं की सरसराहट आँखों का धुंधलापन मन का वहम सब मचमचा रहें थे, ये कमरें की वीरानी नही गलियों के दृश्य बता रहें थे, ख्वाहिशें मेरी बैग के अंदर कंधे पर टँगी हैं सपनें सांसो के हलचल से जुड़ी हैं अभी राह के तिनके से भी डर जाती हूँ सच कह रही हूं मैं मंजिल पे नही सफर में ही मर जाती हूं, माधवी मधु ©madhavi madhu

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