(लगाब का डर)
अब यूँ ही वक्त बेकार नही करता,
हर शख्स पर अब ऐतबार नही करता,
ख्वाहिश तो बहुत हैं दिल में,
पर हर किसी से प्यार का इजहार नही करता,
औऱ इस दिल में सिर्फ तुम हो आफरीन,
में हर किसी से जिस्म का व्यापार नही करता।
ग़लतफ़हमी हैं लोगो की हम उनकी बात सुनते हैं
वक्त आने पर तरीके से उनका हिसाब करते हैं
अरुण राजपूत की कलम से-----//
©ARUN KUMAR
लगाब का डर।
#walkingalone