आसमाँ पे बैठा कभी तो नीचे गिरता है और बड़ा बनता

"आसमाँ पे बैठा कभी तो नीचे गिरता है और बड़ा बनता वो जो छोटा रहता है, जहाँ रहो इल्म फैलाओ मुहब्बत का, तोड़ते हैं फूल गुलिस्ताँ फिर भी महकता है ajay rahul #AR"

 आसमाँ पे बैठा  कभी तो  नीचे गिरता है
और बड़ा  बनता  वो  जो छोटा रहता है,
जहाँ रहो इल्म फैलाओ मुहब्बत का,
तोड़ते हैं फूल गुलिस्ताँ फिर भी महकता है

ajay rahul #AR

आसमाँ पे बैठा कभी तो नीचे गिरता है और बड़ा बनता वो जो छोटा रहता है, जहाँ रहो इल्म फैलाओ मुहब्बत का, तोड़ते हैं फूल गुलिस्ताँ फिर भी महकता है ajay rahul #AR

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