Ajay Rahul (AR)

Ajay Rahul (AR) Lives in Bhopal, Madhya Pradesh, India

वैसे तो आप मुझे कई रंगों में देख सकते हैं।। एक सामाजिक कार्यकर्ता,एक बैंकर्स और क्रान्तिकारी के रूप में। मैं आज़ादी की दूसरी लड़ाई अन्ना आंदोलन में सबसे छोटी उम्र का अनशनकारी था। उसके बाद private job छोड़ दी,गुरुग्राम में जो नोकरी थी,यार आप ही बताओ इतनी कम पगार में वहाँ गुजारा कहा हो सकता है,,फिर उसके बाद हम सरकारी teacher बन गए, और साथ साथ बड़े बड़े सपने देखने लगे,मानो हम उन्हें हक़ीकत में बदल सकते थे,,और आज भी जारी है सपने देखना,क्योंकि यही वो दुनिया है,जहाँ आपके सपने बिना रूकावट के पूरे हो जाते हैं,,पर उन बच्चों को देखकर दिल पसीज गया,,बोला यार मैं इस सरकारी व्यवस्था का ऐसा गुलाम हूँ जो इन 10वीं के बच्चों को ABCD सिखाऊंगा,,लानत मुझे भी आती थी,,अपने आप पर।। बड़े मासूम थे वो बच्चे,जो एक वक़्त के खाने के लिए पढ़ने आते थे।खैर उसके बाद हमारा ibps में selection हो गया,,और अब हम बैंक में है,बैंक की कहानी बताऊंगा तो आप bore हो जाओगे,,बस यहाँ इसलिए है क्योंकि salary थोड़ी ठीक है।। और लिखना इन्हीं सारी यात्राओं ने सिखा दिया। फिर यहाँ भी आप हमें झेले बहुत मेहरबानी होगी। और हाँ..हिंदी में इसलिए लिखा,,कोई न कोई तो हमें गलती से #पूरा पढ़ लेगा,क्योकि हिंदी में जज़्बात हैं। Social Worker||writer||performer||Dancer||thinker||government employee=overall=Zero|| Thanks a lot nojoto

https://youtu.be/l4vJCIxRZLQ

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क्या  बताऊँ  कैसे गुजरे साल मेरे हो गए  थे   दरबदर   यूँ  हाल मेरे माँ ने सर पर हाथ फेरे और बोली रुकना नहीं है जिंदगी में लाल मेरे अजय राहुल #AR #happymotherday

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#Happy_Women #Ar

#Happy_Women's_day क्या  बताऊँ  कैसे गुजरे साल मेरे हो गए  थे   दरबदर   यूँ  हाल मेरे माँ ने सर पर हाथ फेरे और बोली रुकना नहीं है जिंदगी में लाल मेरे

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#Ar

गाँव मेरा अब शहर तक बढ़ गया है #Ar

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आसमाँ पे बैठा कभी तो नीचे गिरता है और बड़ा बनता वो जो छोटा रहता है, जहाँ रहो इल्म फैलाओ मुहब्बत का, तोड़ते हैं फूल गुलिस्ताँ फिर भी महकता है ajay rahul #AR

#Ar  आसमाँ पे बैठा  कभी तो  नीचे गिरता है
और बड़ा  बनता  वो  जो छोटा रहता है,
जहाँ रहो इल्म फैलाओ मुहब्बत का,
तोड़ते हैं फूल गुलिस्ताँ फिर भी महकता है

ajay rahul #AR

आसमाँ पे बैठा कभी तो नीचे गिरता है और बड़ा बनता वो जो छोटा रहता है, जहाँ रहो इल्म फैलाओ मुहब्बत का, तोड़ते हैं फूल गुलिस्ताँ फिर भी महकता है ajay rahul #AR

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#gazals_by_AR

शिक़वा नहीं है   कोई, हमको नहीं गिला, सभी में झाँका है मगर, ख़ुद से नहीं मिला, मशरूफ हुए इस कदर, अपने ही जहाँ में, हँसकर तो गले सब मिले,पर फासला मिला अजय राहुल AR

 शिक़वा   नहीं है   कोई, हमको नहीं गिला,
सभी में झाँका है मगर, ख़ुद से नहीं मिला,

मशरूफ हुए इस कदर, अपने ही जहाँ में,
हँसकर तो गले सब मिले,पर फासला मिला

अजय राहुल AR

शिक़वा नहीं है   कोई, हमको नहीं गिला, सभी में झाँका है मगर, ख़ुद से नहीं मिला, मशरूफ हुए इस कदर, अपने ही जहाँ में, हँसकर तो गले सब मिले,पर फासला मिला अजय राहुल AR

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