इश्क का ये रोग यारों बड़ा मवाली है,
उससे मिलने का दिल तो है मगर जेब खाली है।
कि भूल कर भी उसे कभी भुलाया नहीं हमने,
कैसे भुलाएं उसकी आंखें जो इतनी मदमस्त काली हैं।
कोयल की बोली सुन मुझे भी थोड़ा अहसास हुआ,
कि आवाज उसकी भी कोई किसी से कम न बवाली है।
हां दिल तो बहुत करता है कि उससे मिलूं
लेकिन कैसे मिलूं जब मेरी पॉकेट ही खाली है।
अब मुझे ही जाना ही जाना पड़ेगा उससे मिलने
क्योंकि उस टिटहरी के पास टाइम कहां खाली है?
जाऊंगा मिलने उससे एक शर्त मनवा कर ही,
खाने पीने का खर्चा तुम उठाओगी मेरा भी,
क्योंकि देखो मुझ जैसे आशिक की पॉकेट खाली है।
पहुंच गए होटल खाते वक्त निगाह पड़ी उसकी जो कान की बाली है
और देखो भाई उस बंदी ने नोट निकाला गुलाबी जो अब साली वो भी जाली है।
😄😄😄
©आवारा इंजीनियर
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