साथ:-
साथ चाहिए बस तुम्हारा बाकि किसी चीज की ख्वाहिश नहीं,
ख्वाहिश है सिर्फ तुम्हारे साथ कि इसके सिवा किसी की जरूरत नहीं,
लिख दी मैंने तो जिंदगी अपनी तुम्हारे नाम अब इससे ज्यादा क्या करूँ मैं,
हर रोज तुम्हें खोने से डर से घुट-घुट कर क्यों मरूं मैं,
कितना लड़ूं खुद से तेरे खातिर अब लड़ा नहीं जाता,
बना लो न अब मुझे अपना तुम्हारे बेगैर रहा नहीं जाता।
©सिंह
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