जीवन को यूँ हँसकर काटो,रोने में क्या रक्खा है
नफ़रत वाले बीज हमेशा ,बोने में क्या रक्खा है
मत मांगो बस जगह जरा सी,मेरे दिल के कोने में
पूरे दिल पर राज करो तुम,कोने में क्या रक्खा है
रोज मिला कर,बात किया कर, दिल से दिल मिल जाएंगे,
धागा -वागा मन्नत-वन्नत,टोने में क्या रक्खा है
कितनी रात सुहानी है ये,चाँद खिला है प्यारा सा
मीठी- मीठी बात करेंगे ,सोने में क्या रक्खा है
तुम तो अपना दिल दे बैठे, पर उसको मालूम नही
ऐसे भी इक तरफ़ा दिल को,खोने में क्या रक्खा है
मिलना जुलना भूल गए हैं,केवल बातें फोनों पर
ऐसा भी फिर प्यार हमारा ,होने में क्या रक्खा है
जिस रिश्ते में प्यार भरोसा,मिटकर चकना चूर हुआ
उस रिश्ते को दूर तलक फिर , ढोने में क्या रक्खा है
©कवि सन्दीप जगन
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here