🇮🇳 प्रस्तुत मंच "अदनासा" किसी नेता, संस्था, जाति या धर्म के प्रचार प्रसार का केंद्र नही है, परंतु संस्था, जाति, धर्म या नेता के द्वारा कुछ समाज के लिए कुछ देशहित में हो या कोई अहित होने का प्रतीत हो तो चर्चा करना अवश्यंभावी है, साथ ही यह मंच वास्तव में केवल उनका है, जो अंत में स्वयं को एक भारतीय मानते हैं, इसलिए यहां बात सिर्फ़ भारत की होती है। रही बात मेरे सनातन धर्म की तो मैं उसकी रक्षा हेतु स्वयं सक्षम हूं, इसलिए मुझे मेरे धर्म एवं मेरे कर्म पर अटूट विश्वास है, इसलिए मेरा धर्म और कर्म दोनों सुरक्षित है साथ ही अन्य सभी धर्म को सुरक्षा देने में भी सक्षम है, यह विश्वास भी मुझे मेरा धर्म , मेरा कर्म, हमारी जनता, हमारे महान देश भारत और हमारे महान संविधान ने दिया है। मुख्य उद्देश्य एवं प्रण मात्र यही है कि, मेरे महान देश भारत की संप्रभुता, एकता, प्रेम, अनंत अनवरत अक्षुण्ण रहे, इस प्रण को पूर्ण करने हेतु मैं प्राणविहीन हो जाऊं तो समझो मैं सौभाग्यशाली रहूंगा। मैं समाज में रहकर किसी ना किसी राजनैतिक दल का समर्थक हो सकता हूं, परंतु किसी राजनैतिक दल से अधिक हमारा देश ही प्रथम है, देश के नेता या नेत्री का आदर करो, सत्कार करो, परंतु उन्हें देवी देवता की तरह भक्ति मत करो, क्योंकि इनकी भक्ति में अंधभक्त बनने से करोड़ों अरबों गुणा है देशभक्त बनना। मैं लेखन, कविता एवं शायरी में कच्चा हूं, परंतु भावनाओं का व्याकरण सच्चा रखता हूं, केवल थोड़ा बहुत अच्छा लिख लेने का यह अर्थ नही कि मैं अच्छा हूं, अपितु यह मेरा अनवरत प्रयास है की मैं अच्छा बन जाऊं, प्रयास है अच्छा लिखूं, सच्चा लिखूं, आपकी लिखूं और कुछ मेरी भी, वैसे हर शब्द मेरे है मगर कुछ हालात के तो कुछ हालत के, यदि इस पवित्र क़लम साधना के माध्यम से, मुझ में नाममात्र या अंश मात्र का फल मेरे प्रारब्ध में यदि है, तो यह मेरे भलाई का हो या ना हो, परंतु मुझे कुछ आध्यात्म तक, कुछ स्वयं के आत्ममंथन तक या अधिक से अधिक मानवता के मार्ग तक पहुंचने का सफल एवं सार्थक माध्यम है, या यह भी संभव है कि ईश्वर को प्राप्त करने का माध्यम भी हो, अपितु मेरा ध्येय है कि इस पवित्र माध्यम कर्म से मैं सत्य एवं सार्थक लिखूं, भले इस लेख को कोई सराहें या ना सराहें, मुझे मात्र लिखना है। ऐसे ही समझते लिखते मैं आध्यात्म या मोक्ष के उस पार भले जा पाऊं या ना जा पाऊं, परंतु प्रयास किया जा सकता है, प्रयास रहेगा कि पार के भी उस पार तक चला जाऊं, परंतु यदि उस पार मैं असफल भी रह गया तो इस पार डोर थामने को मिल जाए तो यह मेरे लिए सौभाग्य से कम ना होगा। वैधानिक चेतावनी जनहित में जारी मेरी यह पवित्र लेखनी मुफ़्त और मुक्त लिखती है, इसलिए कृपया मुझे लेखक, शायर या कवि समझने की चूक कदापि ना करें, प्रस्तुत हर सामग्रियां कुछ प्रत्यक्ष एवं कुछ कल्पनाओं का मात्र संसार भर है, यदि लिखीत सामग्री का संबंध किसी कारणवश किसी घटनाओं से मेल खाते है तो यह मात्र एक संयोग भर है। साथ ही मैं कोई पत्रकार नही हूं पर अंदर एक पत्रकार सा आकार लेता व्यक्ति मुझे पहचानता है, वह व्यक्ति कविता, शायरी, समाजिक एवं राजनैतिक मुद्दों पर स्वतंत्र लेखन भी लिखता है, वह भी बिना किसी लाग लपेट के, कुछ मीठी, कुछ खट्टी, कुछ नमकीन, कुछ तीखी और कुछ कड़वी मगर केवल सीधी बात। एक साधारण मनुष्य में जो अवगुण एवं गुण होते है वह मुझ में है, माटी का अदना सा पुतला हूं आश्चर्य नहीं। इन गुणों अवगुणों से मिलकर कलम मिली मैं लिखता बावला हूं आश्चर्य नही। मैं जी भर कलम चलाता निराला हूं किसी ने लेखक कह दिया तो आश्चर्य है। जय भारत, जय हिन्द, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय संविधान एवं जय लोकतंत्र, तुम्हारी भी जय, मेरी भी जय, हम सब की जय।💐💐🌹🌹🙏🙏😊🇮🇳🇮🇳
https://www.facebook.com/adnasabhartiya?mibextid=ZbWKwL
2,142 View
108 View
19 Love
99 View
117 View
108 View
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here