नवनीत ठाकुर

नवनीत ठाकुर Lives in Mandi, Himachal Pradesh, India

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आईने की तरह रिश्ते भी नाज़ुक होते हैं, फिर भी इन्हें संभालने में लोग चूकते हैं। झूठी खूबसूरती पर लोग सुकून में खोते हैं। जब तक सलामत थे, उनकी कद्र कहाँ थी, अब टूटे हैं तो दर्द के किस्से हर मोड़ पे रोते हैं। एक बार जो दरारें आ जाएं दिल के आईने में, फिर उन रिश्तों से लोग हमेशा दूर से गुजरते हैं। ©नवनीत ठाकुर

#शायरी #GoldenHour  आईने की तरह रिश्ते भी नाज़ुक होते हैं,
फिर भी इन्हें संभालने में लोग चूकते हैं।
झूठी खूबसूरती पर लोग सुकून में खोते हैं।
जब तक सलामत थे, उनकी कद्र कहाँ थी,
अब टूटे हैं तो दर्द के किस्से हर मोड़ पे रोते हैं।
एक बार जो दरारें आ जाएं दिल के आईने में,
फिर उन रिश्तों से लोग हमेशा दूर से गुजरते हैं।

©नवनीत ठाकुर

#GoldenHour शायरी लव

16 Love

जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर

#प्रकृति #कविता  जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

12 Love

जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को नीले और सफेद के संग रंग डाला, ये कौन चित्रकार है।। कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया, वो किसका विचार है।। मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया, हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, ये किसका चमत्कार है।। जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया, ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।। नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए, हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।। चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता, खामोश रात का वो मौन पहरेदार है।। अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते, सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया, वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।। वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा, हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।। कुदरत के हर कण , हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।। ©Navneet Thakur

#कविता #ये  जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को
नीले और सफेद के संग रंग डाला, 
ये कौन चित्रकार है।।
कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया,
 वो किसका विचार है।।
मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया,
हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, 
ये किसका चमत्कार है।।
जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया,
ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।।
नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए,
हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।।
चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता,
खामोश रात का वो  मौन पहरेदार है।।
अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते,
सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया,
वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।।
वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा,
हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।।
कुदरत के हर कण ,
हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।।

©Navneet Thakur

#ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता

16 Love

White रौशन हो जहां, चमके हर नज़र, सज जाए दीपों से ये रात की चादर। हर खुशी आपके कदमों में आ जाए, दीपावली पर आपके घर खुशियां छा जाए। दुआ है मेरी, रंगीन हो ये त्योहार, हर दिन में हो खुशियों की बहार। लक्ष्मी का वास हो आपके द्वार, दीपावली मुबारक हो बार-बार! दीपों की रोशनी से सजे ये रात, खुशियों के संग लाए सौगात। मिट जाए जीवन से हर अंधेरा, दीपावली पर हो उजला बसेरा। खुशियों से भरा हो आपका जहां, सजे हर दिन नया, हर रात जवां। दीपों की महक से महके हर आंगन, दीपावली मुबारक हो आपको बार बार! ©Navneet Thakur

#कविता #happy_diwali  White  रौशन हो जहां, चमके हर नज़र,
सज जाए दीपों से ये रात की चादर।
हर खुशी आपके कदमों में आ जाए,
दीपावली पर आपके घर खुशियां छा जाए।

दुआ है मेरी, रंगीन हो ये त्योहार,
हर दिन में हो खुशियों की बहार।
लक्ष्मी का वास हो आपके द्वार,
दीपावली मुबारक हो बार-बार!


दीपों की रोशनी से सजे ये रात,
खुशियों के संग लाए सौगात।
मिट जाए जीवन से हर अंधेरा,
दीपावली पर हो उजला बसेरा।

खुशियों से भरा हो आपका जहां,
सजे हर दिन नया, हर रात जवां।
दीपों की महक से महके हर आंगन,
दीपावली मुबारक हो आपको बार बार!

©Navneet Thakur

#happy_diwali कविता

15 Love

White मैं तुझसे दूर जा के भी तुझे भुला नहीं सकता, तेरा ख्याल आते ही दिल को सुकून मिल जाता है। ©Navneet Thakur

#शायरी #sad_quotes  White मैं तुझसे दूर जा के भी तुझे भुला नहीं सकता,
तेरा ख्याल आते ही दिल को सुकून मिल जाता है।

©Navneet Thakur

#sad_quotes शायरी लव

4 Love

White तेरे बिना ये रातें हैं सुनसान, तेरी यादों के संग चलता है मेरा हर अरमान। जबसे तू मुझसे जुदा हुआ है, हर खुशी में भी तेरा ही तो ग़म है। तेरी खुशबू में बसी है मेरी ज़िंदगी, तेरे ख्यालों में ही मिलती है मुझे हर खुशी। तू दूर है फिर भी, मेरा हर ख्वाब तेरा है, तेरे बिना यह दिल, जैसे बेताब सा सफर है। तेरे साथ बिताए लम्हों की यादों में खो गया हूँ, तू जो न हो पास, तो खुद को भी मैं भूल गया हूँ। ©Navneet Thakur

#शायरी  White  तेरे बिना ये रातें हैं सुनसान,
तेरी यादों के संग चलता है मेरा हर अरमान।

जबसे तू मुझसे जुदा हुआ है,
हर खुशी में भी तेरा ही तो ग़म है।

तेरी खुशबू में बसी है मेरी ज़िंदगी,
तेरे ख्यालों में ही मिलती है मुझे हर खुशी।

तू दूर है फिर भी, मेरा हर ख्वाब तेरा है,
तेरे बिना यह दिल, जैसे बेताब सा सफर है।

तेरे साथ बिताए लम्हों की यादों में खो गया हूँ,
तू जो न हो पास, तो खुद को भी मैं भूल गया हूँ।

©Navneet Thakur

# शेरो शायरी 'दर्द भरी शायरी'

1 Love

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