अंगूर की तरह khati तो mithi भी है तू
सावन की कड़क dhup तो barish की हल्की बूंद भी है तू
jamin कि सतह का दूर तक देखे जाने वाला हिसा तो asman का दूर से दिखाई देने वाला अंत भी है तू
muskurahat की सादगी तो आंखो का gussa भी है तू
dil की धड़कन है तो sanso की रफ्तार का हिस्सा भी है तू
sapast शब्द तो उलझे dhago की घांट भी है तू
ऐ जिन्दगी
सच बता
क्या है
जो
नहीं है तू ❔
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