शायर / ओजकवि प्रशांत व्यास

शायर / ओजकवि प्रशांत व्यास "रुद्र" Lives in Ujjain, Madhya Pradesh, India

मुझसे क्या पूछते हो मियां, मेरा हर हर्फ़ मेरी शख्सियत बयां करता है। contct / whtsapp:- 9827319152

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#kalakaksh #kavishala

भरी महफ़िल नाम लूंगा तो कहोगे बोलता है। #kalakaksh #kavishala

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दूर यमुना के तट वंशीवट के तले श्याम के बांसुरी जब जब है बजे धुन पे थिरके सभी ग्वाल गोपी राधिका प्रेम का रूप है गजब धुन प्रेम की यहां पर देखो कण कण बसी।

#nojotolhabari #kavishala  दूर यमुना के तट 
वंशीवट के तले
श्याम के बांसुरी
जब जब है बजे
धुन पे थिरके सभी
ग्वाल गोपी राधिका
प्रेम का रूप है गजब
धुन प्रेम की यहां पर
देखो कण कण बसी।

एक ताज़ा ग़ज़ल के ६ शेर आप सबकी नज़र:- खोये खोये रहते हो जनाब किसलिए ? सीने में सिसकती हैं किताब किसलिए ?? हैं जब खाली हाथ हमको रुखसत होना, तो बहीखाते,दौलत का हिसाब किसलिए ?? दो मुट्ठी धुल तू तो दो मुट्ठी राख मैं भी हूँ, तो ये अकड ये चेहरे पर रुबाब किसलिए ?? कल तक कुचे* से गुजरना भी गंवारा नही, आज होठो पर तबस्सुम,आदाब किसलिए?? आज जिस पर नाज़ वो किसी गैर का होगा, ये आलिशान कोठी इतना असबाब किसलिए?? फानी को छोड़ देना रूद्र नाफानी तलाश कर, पहने बैठा दुनिया का झूठा नकाब किसलिए ?? :- प्रशांत व्यास "रूद्र" © 25/09/2015

#कविशाला #nojotokhabari #romance #Nojoto  एक ताज़ा ग़ज़ल के ६ शेर आप सबकी नज़र:-

खोये खोये रहते हो जनाब किसलिए ?
सीने में सिसकती हैं किताब किसलिए ??

हैं जब खाली हाथ हमको रुखसत होना,
तो बहीखाते,दौलत का हिसाब किसलिए ??

दो मुट्ठी धुल तू तो दो मुट्ठी राख मैं भी हूँ,
तो ये अकड ये चेहरे पर रुबाब किसलिए ??

कल तक कुचे* से गुजरना भी गंवारा नही,
आज होठो पर तबस्सुम,आदाब किसलिए??

आज जिस पर नाज़ वो किसी गैर का होगा,
ये आलिशान कोठी इतना असबाब किसलिए??

फानी को छोड़ देना रूद्र नाफानी तलाश कर,
पहने बैठा दुनिया का झूठा नकाब किसलिए ??

:- प्रशांत व्यास "रूद्र" ©
     25/09/2015

#kavishala  kavyakumbh 2018 delhi
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kavyakumbh 2018 delhi #kavishala

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अपनी कहानी कुछ यूँ गुनगुना रहा हु अब जैसे किसी रूठे हुए को मैं मना रहा हूँ अब, मुझे फुर्सत कहा इश्क फरमाने से यार बता उलझी जो उसकी जुल्फें सुलझा रहा हु अब , लबो पर तबस्सुम की अख्तियारी कमाल हैं हंसने को उनके लब से लब मिला रहा हूँ अब, कातिलाना शख्सियत के सायें में हर दम हूँ खुद गर्दन शमशीर के निचे लगा रहा हूँ अब, क़त्ल कर या सीने से लगा ले जो रज़ा हो तेरी दर शम्मा मैं अपने दिल की जला रहा हूँ अब, उसके वास्ते रूद्र को कब से नीलाम कर दिया तेरे दिल को छोड़कर कही नही जा रहा हूँ अब || : रूद्र ०२/०५/२०१६

#kavishala #Nojoto  अपनी कहानी कुछ यूँ गुनगुना रहा हु अब 
जैसे किसी रूठे हुए को मैं मना रहा हूँ अब,

मुझे फुर्सत कहा इश्क फरमाने से यार बता
उलझी जो उसकी जुल्फें सुलझा रहा हु अब ,

लबो पर तबस्सुम की अख्तियारी कमाल हैं 
हंसने को उनके लब से लब मिला रहा हूँ अब,

कातिलाना शख्सियत के सायें में हर दम हूँ 
खुद गर्दन शमशीर के निचे लगा रहा हूँ अब,

क़त्ल कर या सीने से लगा ले जो रज़ा हो तेरी 
दर शम्मा मैं अपने दिल की जला रहा हूँ अब,

उसके वास्ते रूद्र को कब से नीलाम कर दिया
तेरे दिल को छोड़कर कही नही जा रहा हूँ अब ||

: रूद्र 
०२/०५/२०१६

अपनी कहानी यूँ गुनगुना रहा हूँ अब #kavishala #Nojoto

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