तृप्ति

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शौक ए शायरी

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कुछ इस तरह रास आ गई है तन्हाई हमको कि अब तो मेहफ़िल में ख़ुद को तन्हा पाते है... एक तरफ़ दर्द है दिल का जो मिटाये नही मिटता उस पर कमाल ये है कि हम हर पल मुस्कुराते है... ©तृप्ति

#मुस्कुराहट #शायरी  कुछ इस तरह रास 
आ गई है तन्हाई हमको
कि अब तो मेहफ़िल में
 ख़ुद को तन्हा पाते है... 

एक तरफ़ दर्द है दिल का 
जो मिटाये नही मिटता
उस पर कमाल ये है कि 
हम हर पल मुस्कुराते है...

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एक शख्शियत रखती हूँ वो भी गुरूर के साथ एक पूरा दौर आयेगा मेरा मेरे वक़्त के साथ जिन्हें आज शिकवा है मुझसे दिल में सम्भाल कर रखना मैं हर बात का जवाब जरूर दूँगी पूरे के पूरे हिसाब के साथ ©तृप्ति

#शख्शियत #कविता  एक शख्शियत रखती हूँ 
वो भी गुरूर के साथ
एक पूरा दौर आयेगा मेरा
मेरे वक़्त के साथ
जिन्हें आज शिकवा है मुझसे
दिल में सम्भाल कर रखना
मैं हर बात का जवाब जरूर दूँगी
पूरे के पूरे हिसाब के साथ

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पिंजरे के पंछी नहीं दूर आकाश छू जाना है कर लिया है अब आग़ाज हमने सारा गगन नाप के आना है याद रखेगा जहान सारा कुछ ऐसा कर दिखाना है बुलंद कर लेनी है शख्शियत हमें यूं अपनी अब तो अपने जुनून को अंजाम तक ही लाना है ©तृप्ति

#शायरी #आग़ाज  पिंजरे के पंछी नहीं
दूर आकाश छू जाना है
कर लिया है अब आग़ाज हमने
सारा गगन नाप के आना है
याद रखेगा जहान सारा 
कुछ ऐसा कर दिखाना है
बुलंद कर लेनी है 
शख्शियत हमें यूं अपनी
अब तो अपने जुनून को 
अंजाम तक  ही लाना है

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कभी कभी ये दिल भी तय करता है दौर ख़ामोशी का लाख मन हो कुछ कहने का लेकिन रुक सा जाता है कारवां लफ्ज़ों का कभी होता है इम्तिहान मेरी शिद्दत का... तो कभी होता है मौसम तन्हाई का... दिल हो जाता है ख़ुद से ही अजनबी सा बहलाना हो जाता है दिल को फ़िर नामुमकिन सा कर बैठता है जब भी जिद्द तेरी दिल मेरा... ©तृप्ति

#शायरी #जिद्द  कभी कभी ये दिल भी तय 
करता है दौर ख़ामोशी का
लाख मन हो कुछ कहने का
लेकिन रुक सा जाता है 
कारवां लफ्ज़ों का
कभी होता है इम्तिहान 
मेरी शिद्दत का... 
तो कभी होता है 
मौसम तन्हाई का... 
दिल हो जाता है 
ख़ुद से ही अजनबी सा
बहलाना हो जाता है 
दिल को फ़िर नामुमकिन सा
कर बैठता है जब भी जिद्द तेरी दिल मेरा...

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कर देती है बयां ख़ामोशी भी दिल के दर्द कभी कभी जज्बातों को अल्फाज़ो की भला जरूरत रही कभी... लफ्ज़ तो तब चाहिए जब जुबां से कहना हो कुछ रूह से रूह का सफ़र तो तय करती है ख़ामोशी भी... ©तृप्ति

#ख़ामोशी #शायरी  कर देती है बयां ख़ामोशी भी
दिल के दर्द कभी कभी
जज्बातों को अल्फाज़ो की
भला जरूरत रही कभी... 

लफ्ज़ तो तब चाहिए 
जब जुबां से कहना हो कुछ
रूह से रूह का सफ़र तो
तय करती है ख़ामोशी भी...

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सब बनाना यार जिंदगी में किसी को तन्हाई का साथी न बना लेना एक दर्द बड़ा जोर से होगा वरना की जब तन्हाई होगी और वो नही होगा ©तृप्ति

#तन्हाई #शायरी  सब बनाना यार जिंदगी में 
किसी को तन्हाई का साथी न बना लेना 
एक दर्द बड़ा जोर से होगा वरना 
की  जब तन्हाई होगी और वो नही होगा

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