जानती हूं मैं की तुमको बांधना मुश्किल हैं
ऊँचे ख़्वाब है तुम्हारे आसमानों में कही
आज़ाद परिंदे हो तुम जिसके दायरे नही कहीं
नही ठहरते तुम कहीं भी कभी भी,
मगर न जाने क्यू तुम्हे अपने उंगलियो में बांधकर रखना चाहती हू
हा, इस बात से मैं नहीं इनकार करती
मगर मैं तुमसे प्यार नही करती।
जानती हूं मैं की तुमको बांधना मुश्किल हैं
ऊँचे ख़्वाब है तुम्हारे आसमानों में कही
आज़ाद परिंदे हो तुम जिसके दायरे नही कहीं
नही ठहरते तुम कहीं भी कभी भी,
मगर न जाने क्यू तुम्हे अपने उंगलियो में बांधकर रखना चाहती हू
हा, इस बात से मैं नहीं इनकार करती
मगर मैं तुमसे प्यार नही करती।
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