सबके मन में राम बसे ,माता सबकी गंगा हो!
मुख से जन-गण-मन निकले,दिलों में सिर्फ तिरंगा हो!!
आदर्श में सबके विवेकानंद हो,ज्ञान में सबके कलाम हो!
प्रेम बसे हों सबमें नंदलाल सा,क्रोध में परशुराम हो!!
सबके मन में सद्भाव अध्युष्ट हो,मां शारदा का वास हो!
भारतवर्ष में एक बनें सब सबका एक ही राष्ट्र हो!!
©आलोक कुमार कर्ण
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