एक सदके में मेरी भी जब जान वारी जाएगी
तू सुनकर अनजान बनेगी, मगर पुकारी जाएगी
तब मेरी नज़र लगेगी तुझको, ऐसा दिन भी आएगा
जब गैरों के हाथों तेरी नज़र उतारी जाएगी
मैं एक गुमनाम सा साया बनकर, तन्हा दुनिया भटकूँगा
जब तु दुल्हन के जोड़े में, कहीं सवारी जाएगी
एक सदके में मेरी भी तब जान वारी जाएगी
जब गैरों के हाथों तेरी नज़र उतारी जाएगी
ताना कसेंगे लोग लेकर नाम तेरी जब उलफ़तत का
तब दफन मोहब्बत की तुर्बत पर याद उखारी जाएगी
तू सुनकर अंजान बनेगी मगर पुकारी जाएगी
जब गैरों के हाथों तेरी नज़र उतारी जाएगी
वो एक बूंद तेरी आँखों का जब सागर बन जाएगा
होकर कैसे खारा पानी सबकी प्यास बुझाएगा
तब तू गागर में भरकर फिर सहज सुतारी जाएगी
जब गैरों के हाथों तेरी नज़र उतारी जाएगी
©अंकित दुबे
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