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रचनाकार- भूली बिसरी यादें, (दोहे, गीत, कविता, मुक्तक) - शृंगार और ,हास्य की बोछार
मुक्तक नयन नयनों से मिले मानो गुल खिल उठे बात अधरों पर आई और वदन खिल उठे जब भी मिलन हो तुम्हारा उससे बाजार में, उससे ऐसे मिलो तन और मन खिल उठे ©सुरेश अनजान
सुरेश अनजान
17 Love
White मुक्तक जब से दिल में बसे है ये तुम्हारे नयन दिल में हलचल किए है ये प्यारे नयन हाल पूछो नहीं तुम मेरे नयन का, मेघ सावन से बरसे है ये तुम बिन नयन।। ©सुरेश अनजान
19 Love
White दीप जले खुशियों के सब घर, कोई न रहे निराश। श्री राम तारेंगे भव सागर को, रख मन में विश्वास ।। ©सुरेश अनजान
23 Love
White दोहा चांद निरखती कामिनी, पति से रखती नेह । आओ जल्दी साजना, बिन तुम सूना गेह ।। ©सुरेश अनजान
25 Love
White दोहा तुम चंदा मैं चांदनी, बिन मेरे तुम गौण। आओ साजन सामने, तुम बिन मेरा कौन। ©सुरेश अनजान
24 Love
White दोहा सजनी साजन की सजी, कर सोलह श्रंगार । छवि निहारती चांद में, करवा का त्योंहार।। ©सुरेश अनजान
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