ये डायरी बड़ी पुरानी हैं|
इसमें अश्को की कहानी हैं||
चोट दिल ने खायी हैं मगर|
धड़कन आज भी दीवानी हैं||
अब वो दौर नहीं मुहब्बत का|
पर इश़्क आज भी रूहानी हैं||
ये डायरी बड़ी पुरानी हैं
💞रश्मि💞
तुम ऐसी हो तुम वैसी हो|
ना जाने कोई तुम कैसी हो||
हर दायरे में हैं तुमको रहना|
चुप होकर के गम को सहना ||
फिर भी कमी बस तुममे हैं
जानते हो क्यूँ?क्योंकि
मैं एक औरत हूँ|
हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ||
सबका ख़्याल वो करती हैं|
अपनो के लिए वो मरती हैं||
घुट-घुट कर के वो रहती हैं
तकलीफ किसी से ना कहती हैं||
जानते हो क्यूँ?क्योंकि
मैं एक औरत हूँ
हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ||
मर्यादा के हर बंधन में|
बस औरत को ही बंधना हैं||
चाहे कुछ हो जाये उसे|
मुँह बंद उसे बस रखना हैं||
जानते हो क्यूँ?क्योंकि
मैं एक औरत हूँ|
हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ||
💞रश्मि💞
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