संजय

संजय Lives in Arwal, Bihar, India

जीवनवृत ------------ भारतका एक ब्राह्मण के नाम से विख्यात साहित्यकार संजय कुमार मिश्र "अणु" का जन्म बिहार राज्य के मगध प्रमंडलांतर्गत अरवल जिले के वलिदाद गांव में २५ जनवरी १९८२ को एक सुप्रतिष्ठित शाकद्धीपीय ब्राह्मण परिवार में हुआ।इनके पिता श्री राजबल्लभ मिश्र बंभई ग्राम वासी थे जो दिव्य साधक और उच्च मनीषि थे।माता श्रीमती इंदुप्रभा देवी एक सुयोग्य गृहणी थी।इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही पिता के संरक्षण में हुई।ये अपने पिता से धर्म,तंत्र, ज्योतिष,आयुर्वेद आदि का ज्ञान प्राप्त किए। तत्पश्चात मगध विश्वविद्यालय बोधगया से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया।अपने शोध कार्य को विविध सामाजिक,आर्थिक और पारिवारिक कारणों से पूर्ण नहीं कर पाया।बाद में अनेक शिक्षण विद्यालय महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य किये। जुलाई २०१४ से रा.म.वि.परनपुरा, हसपुरा,औरंगाबाद में भाषा शिक्षक (हिन्दी)के पद सेवारत हैं। सम्मान -- उत्कृष्ट शिक्षा सेवा के लिए २०१५ में जिला शिक्षा सम्मान मिला।देश भर के अनेक साहित्यिक,शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं से द्वयशत सम्मान मिला। प्रकाशित रचनाएं -- आकर मिलो तो(काव्य संग्रह)चलो न ऐसी चाल (काव्य संग्रह)फासले हैं बहुत (हिन्दी ग़ज़ल संग्रह) रसधार (काव्य संग्रह) तुझे देख निकलती आह(काव्य संग्रह)गते गते गत भेल(मगही गीत,ग़ज़ल, कविता संग्रह)तुम ऐसी तो न थी (हिन्दी ग़ज़ल संग्रह) साझा संकलन में --प्रांजल काव्यांकुर,वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ, शब्दों में श्याम,मन मेरा कहता है,लभ इज ब्लाइंड,काव्य महोत्सव, साहित्य रश्मि,आदि में। देश के अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविता,गीत,ग़ज़ल,निबंध आदि प्रकाशित। संप्रति -- साहित्य कला परिषद अरवल के अध्यक्ष। संपर्क -- संजय कुमार मिश्र "अणु" ग्राम+पोस्ट -- वलिदाद थाना -- महेंदिया जिला -- अरवल(बिहार) पिन.नं.804402. मो.नं. 9162918252. 8340781217. अणुडाक -- sanjaykumarmishraannu@gmail.com

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हसते हुए दिखते हैं ========== जो दर्द मिलने पर भी नहीं चीखते हैं, हर दिल की बात आंसुओं से लिखते हैं।। बडे चाव से पढते हैं लोग उसे अक्सर- और जीवन में उससे बहुत कुछ सिखते हैं।। खुद बडे सदमें में जीते हैं जनाब- जो हर वक्त आपको हसते हुए दिखते हैं।। ---:भारतका एक ब्राह्मण. ©संजय

#शायरी  हसते हुए दिखते हैं
==========
जो दर्द मिलने पर भी नहीं चीखते हैं,
हर दिल की बात आंसुओं से लिखते हैं।।
बडे चाव से पढते हैं लोग उसे अक्सर-
और जीवन में उससे बहुत कुछ सिखते हैं।।
खुद बडे सदमें में जीते हैं जनाब-
जो हर वक्त आपको हसते हुए दिखते हैं।।
---:भारतका एक ब्राह्मण.

©संजय

हसते हुए दिखते हैं

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