विवेक आनंद

विवेक आनंद Lives in Greater Noida, Uttar Pradesh, India

ख़ुदा के लिये इन पाओं को ज़मीं पर नहीं रखियेगा, मैले हो जायेंगे ~ आभार फ़िल्म "पाकीज़ा"! मीना कुमारी जी की शाएरी व नज़्म कई शायरों की प्रेरणा रही हैं, और उनके ऊपर फिल्माए गए इन शब्दों से उनका एहतराम क़रतें चलें। जब जब जज़्बात उभरेंगे आपके समक्ष अपनी लेखनी प्रस्तुत करने की ज़रुरत करूँगा, बाक़ी आपके स्नेह और इश्वर की असीम कृपा सब पर बनी रहे यही प्राथना है।

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चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं पाले ग़मों को, सजाते हैं चंद लम्हें जो रखे थे, ख़्वाबों के सिरहाने में इक लम्हें को, फिर हक़ीक़त बनाते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। तस्वीर की ख़ाली फ्रेम, जो गुमनामी समेटे है उस फ्रेम में, अब इक रंगीन तस्वीर लागते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। नदी के किनारे के वो पत्थर, कब से अकेले हैं इक पत्थर को, लहरों के सीने पे, फिर चलातें हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। बुना था तुमने, जिस स्वेटर को, बंद कमरे में उस स्वेटर को, इस सर्दी में, आगोश में लेते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू,जो समेटे थी, बूँदों में उस बारिश से आज इक इंद्रधनुष बनाते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। आपका ~ विवेक आनंद (#myoriginals)

 चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं
पाले ग़मों को, सजाते हैं
चंद लम्हें जो रखे थे, ख़्वाबों के सिरहाने में
इक लम्हें को, फिर हक़ीक़त बनाते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

तस्वीर की ख़ाली फ्रेम, जो गुमनामी समेटे है
उस फ्रेम में, अब इक रंगीन तस्वीर लागते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

नदी के किनारे के वो पत्थर, कब से अकेले हैं
इक पत्थर को, लहरों के सीने पे, फिर चलातें हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

बुना था तुमने, जिस स्वेटर को, बंद कमरे में
उस स्वेटर को, इस सर्दी में, आगोश में लेते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू,जो समेटे थी, बूँदों में
उस बारिश से आज इक इंद्रधनुष बनाते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।
आपका ~ विवेक आनंद (#myoriginals)

#poem #originals #hindipoetry

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उम्र के तकाज़े पे, इश्क़ की जवानी है सफेद बाल का आना ही, तज़ुर्बे की निशानी है। ~विवेक आनंद (originals)

#umra_aur_ishq #originals #nazm  उम्र के तकाज़े पे, इश्क़ की जवानी है
सफेद बाल का आना ही, तज़ुर्बे की निशानी है।
 ~विवेक आनंद (originals)

#originals #nazm #umra_aur_ishq @Roxy @Govind Dubey @Kumari Rinu Prita चतुर्वेदी 🖋📕🙏 @Chandan Kumar

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#ज़ुस्तजू #voice #poem #nazm  तुम भी हो, मैं भी हूँ, ज़ुस्तजू भी है
धुंधली यादों, के इस मकां में, कुछ आरज़ू भी हैं
दरम्यां, कुछ भी गर ना हों, मुमकिन
पलटते हुए सफ़हों में, गर न हो, कुछ हासिल
कोड़े कागज़ पे, इक़ नज़्म पिरोना, यूँही
यादों की लौ को, जलाना, यूँही
मैं लौट आऊंगा, इक रूबाई बनकर
शेर कह जाऊंगा, तुम्हारी तनहाई बनकर।
आपका ~ विवेक आनंद

तुम भी हो, मैं भी हूँ, ज़ुस्तजू भी है धुंधली यादों, के इस मकां में, कुछ आरज़ू भी हैं दरम्यां, कुछ भी गर ना हों, मुमकिन पलटते हुए सफ़हों में, गर न हो कुछ हासिल कोड़े कागज़ पे, इक़ नज़्म पिरोना यूँही यादों की, लौ को, जलाना यूँही मैं, लौट आऊंगा, इक रूबाई बनकर शेर, कह जाऊंगा, तुम्हारी तनहाई बनकर।

#poem #nazm  तुम भी हो, मैं भी हूँ, ज़ुस्तजू भी है
धुंधली यादों, के इस मकां में, कुछ आरज़ू भी हैं
दरम्यां, कुछ भी गर ना हों, मुमकिन
पलटते हुए सफ़हों में, गर न हो कुछ हासिल
कोड़े कागज़ पे, इक़ नज़्म पिरोना यूँही
यादों की, लौ को, जलाना यूँही
मैं, लौट आऊंगा, इक रूबाई बनकर
शेर, कह जाऊंगा, तुम्हारी तनहाई बनकर।

#nazm

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#MEENAKUMARI #Ghalib #Gulzar #poem #nazm

नाज़ है मुझे इन धड़कनों पे जो तेरे नाम से ये धड़कता है तेरे आने की खुशबू से ये सारा आलम महकता है! तुझें शायर की इक कलाम में पढ़ा है मैंने हर्फ़ सी ठहरी ख़ुदा के नाम में ढूंढा है मैंने मेरे सोंचने के मायने बदल दिये हों जैसे हर इक शय पे ख़ुदा का ज़िक़्र हो जैसे!

 नाज़ है मुझे इन धड़कनों पे
जो तेरे नाम से ये धड़कता है
तेरे आने की खुशबू से 
ये सारा आलम महकता है!

तुझें शायर की इक कलाम में पढ़ा है मैंने
हर्फ़ सी ठहरी ख़ुदा के नाम में ढूंढा है मैंने

मेरे सोंचने के मायने बदल दिये हों जैसे
हर इक शय पे ख़ुदा का ज़िक़्र हो जैसे!

बहरहाल शायर तो मैं बारहा कईं सौ सालोँ से था, पर सूरतें थोड़ी अलग थीं। पहले मैं अपने जज़्बात श्याह कागज़ के टुकडोँ पे बयां कर देता था। पर अब डेटा और ऍप पे आपका एहतराम कर रहा हूँ। आफ़रीन फरमाइएगा!

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