White सुन लेते हैं वो जो बातें हमारी सारी शान से,
दीवारों के अंदर जो करते हम अभिमान से।
करके हिम्मत बातों कि चुगली सारी राम से,
काहें इतना सुनकर दीवारों के निकले कान।
सुबह हो या शाम करके बातों कि सिफ़ारिश,
निकल जाते हमारे ही चुगलखोर चुपचाप से।
सुनकर बातें सारी गुपचुप चुप्पी साधे कान,
कान खोलके सुनते-सुनाते बातें सरेआम से।
©Hardik Mahajan
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