"वादा किया था माँ से, जल्दी लौट आऊंगा,
तेरी गोद में फिर से चैन से सो जाऊंगा।
सरहद की मिट्टी में था लहू का रंग घुला,
पर दिल में ये ख्याल था, मैं बच जाऊंगा।
तूने माथे से हटाई थी आँचल की चादर,
कहा था 'जा बेटा, तेरा इंतजार करूंगी,
तू जब लौटेगा, देखना, हंसते हुए आऊंगी।'
पर अब लौटूंगा कैसे, ये जंग है आखिरी,
तू मेरे बिन कैसे जिएगी, ये सोच नहीं पाऊंगा।
गोलियों की आवाज़ में तेरा नाम लिया मैंने,
पर मौत ने जो दस्तक दी, उसे रोक न पाऊंगा।
तेरी आँखों में ख्वाब था, मेरे लौटने का,
पर अब उस ख्वाब को टूटते हुए देख जाऊंगा।
लिपटा तिरंगे में जब दरवाजे पे आऊंगा,
तू रोएगी, पर तुझे चुप कराने नहीं आ पाऊंगा।
वादा किया था, फिर भी मैं नहीं निभा पाया,
तू इंतजार करती रहेगी, पर मैं नहीं लौट पाऊंगा।
अब इस मिट्टी में दफ्न हो जाऊंगा हमेशा के लिए,
तेरी दुआओं में रहूंगा, पर तेरे पास नहीं आ पाऊंगा।"
©silent_03
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