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New wazir in chess Status, Photo, Video

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#कविता #Chess  जब तक आप, 
दूसरों के पीछे भागते हो। 
आपकी अपनी जिंदगी, 
रुक सी जाती है।
पर जब एक बार, 
आप लोगों के पीछे, 
भागना छोड़ देते हो।
आपकी जिंदगी, 
सही मायने में, 
तभी रफ्तार पकड़ती है। 
और दुनिया की शतरंज, 
आपको बिल्कुल साफ 
 नजर आती है। 
अब हर चाल का जवाब,
जिंदगी पहले ही ले आती है।

©Neema Pawal

#Chess

108 View

आम्ही जोडत जाऊ रोज नवीन पक्ष नवीन आघाडी मित्रपरीवार, नातीगोती तुम्ही तोडत रहा मुर्खांनो.. पक्षनिष्ठा, नेतृत्व ही कळकळ तुम्हालाच भारी आम्ही देऊ ते झेंडे तुम्ही फडकवत रहा मुर्खांनो.. ✍️भुषण ठाकरे ©Bhushan Thakare

#Quotes #Chess  आम्ही जोडत जाऊ रोज
नवीन पक्ष नवीन आघाडी
मित्रपरीवार, नातीगोती तुम्ही
तोडत रहा मुर्खांनो..

पक्षनिष्ठा, नेतृत्व ही कळकळ
तुम्हालाच भारी
आम्ही देऊ ते झेंडे तुम्ही
फडकवत रहा मुर्खांनो..
✍️भुषण ठाकरे

©Bhushan Thakare

#Chess

17 Love

बहुत फ़र्क होता है ज़रूरी और ज़रूरत में... कभी-कभी हम सिर्फ ज़रूरत होते हैं ज़रूरी नहीं...😊 ©Tarique Usmani

#Quotes #Chess  बहुत फ़र्क होता है ज़रूरी और 
ज़रूरत में...
कभी-कभी हम सिर्फ ज़रूरत होते हैं 
ज़रूरी नहीं...😊

©Tarique Usmani

#Chess

15 Love

#Motivational

chess motivational thoughts in marathi

99 View

بچپن میں جب کوئی اخبار فروش گزرتے ھوئے یہ پکارتا تھا " *وطن* 3 روپے ،" *انقلاب* 2 روپے " *جنگ" 4 روپے ،" *عوام"1 روپے تو میں یہی سمجھتا تھا کہ وہ"اخبار" کی قیمت بتا رہا ہے منقول ۔ ©Gujrat Diary

#Quotes #Chess  بچپن میں جب کوئی اخبار فروش گزرتے ھوئے یہ پکارتا تھا

 " *وطن*   3 روپے
،" *انقلاب*   2 روپے
" *جنگ"   4 روپے
،" *عوام"1 روپے

 تو میں یہی سمجھتا تھا کہ وہ"اخبار" کی قیمت بتا رہا ہے

منقول






















۔

©Gujrat Diary

#Chess

15 Love

राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या आगे आगे देखिए होता है क्या क़ाफ़िले में सुब्ह के इक शोर है या'नी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं तुख़्म-ए-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या ये निशान-ए-इश्क़ हैं जाते नहीं दाग़ छाती के अबस धोता है क्या ग़ैरत-ए-यूसुफ़ है ये वक़्त-ए-अज़ीज़ 'मीर' उस को राएगाँ खोता है क्या 🙏🏻 मीर तकी मीर🙏🏻 ©Ram Yadav

#विचार #Chess  राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या 
आगे आगे देखिए होता है क्या 

क़ाफ़िले में सुब्ह के इक शोर है 
या'नी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या 

सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं 
तुख़्म-ए-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या 

ये निशान-ए-इश्क़ हैं जाते नहीं 
दाग़ छाती के अबस धोता है क्या 

ग़ैरत-ए-यूसुफ़ है ये वक़्त-ए-अज़ीज़ 
'मीर' उस को राएगाँ खोता है क्या


🙏🏻 मीर तकी मीर🙏🏻

©Ram Yadav

#Chess

13 Love

#कविता #Chess  जब तक आप, 
दूसरों के पीछे भागते हो। 
आपकी अपनी जिंदगी, 
रुक सी जाती है।
पर जब एक बार, 
आप लोगों के पीछे, 
भागना छोड़ देते हो।
आपकी जिंदगी, 
सही मायने में, 
तभी रफ्तार पकड़ती है। 
और दुनिया की शतरंज, 
आपको बिल्कुल साफ 
 नजर आती है। 
अब हर चाल का जवाब,
जिंदगी पहले ही ले आती है।

©Neema Pawal

#Chess

108 View

आम्ही जोडत जाऊ रोज नवीन पक्ष नवीन आघाडी मित्रपरीवार, नातीगोती तुम्ही तोडत रहा मुर्खांनो.. पक्षनिष्ठा, नेतृत्व ही कळकळ तुम्हालाच भारी आम्ही देऊ ते झेंडे तुम्ही फडकवत रहा मुर्खांनो.. ✍️भुषण ठाकरे ©Bhushan Thakare

#Quotes #Chess  आम्ही जोडत जाऊ रोज
नवीन पक्ष नवीन आघाडी
मित्रपरीवार, नातीगोती तुम्ही
तोडत रहा मुर्खांनो..

पक्षनिष्ठा, नेतृत्व ही कळकळ
तुम्हालाच भारी
आम्ही देऊ ते झेंडे तुम्ही
फडकवत रहा मुर्खांनो..
✍️भुषण ठाकरे

©Bhushan Thakare

#Chess

17 Love

बहुत फ़र्क होता है ज़रूरी और ज़रूरत में... कभी-कभी हम सिर्फ ज़रूरत होते हैं ज़रूरी नहीं...😊 ©Tarique Usmani

#Quotes #Chess  बहुत फ़र्क होता है ज़रूरी और 
ज़रूरत में...
कभी-कभी हम सिर्फ ज़रूरत होते हैं 
ज़रूरी नहीं...😊

©Tarique Usmani

#Chess

15 Love

#Motivational

chess motivational thoughts in marathi

99 View

بچپن میں جب کوئی اخبار فروش گزرتے ھوئے یہ پکارتا تھا " *وطن* 3 روپے ،" *انقلاب* 2 روپے " *جنگ" 4 روپے ،" *عوام"1 روپے تو میں یہی سمجھتا تھا کہ وہ"اخبار" کی قیمت بتا رہا ہے منقول ۔ ©Gujrat Diary

#Quotes #Chess  بچپن میں جب کوئی اخبار فروش گزرتے ھوئے یہ پکارتا تھا

 " *وطن*   3 روپے
،" *انقلاب*   2 روپے
" *جنگ"   4 روپے
،" *عوام"1 روپے

 تو میں یہی سمجھتا تھا کہ وہ"اخبار" کی قیمت بتا رہا ہے

منقول






















۔

©Gujrat Diary

#Chess

15 Love

राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या आगे आगे देखिए होता है क्या क़ाफ़िले में सुब्ह के इक शोर है या'नी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं तुख़्म-ए-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या ये निशान-ए-इश्क़ हैं जाते नहीं दाग़ छाती के अबस धोता है क्या ग़ैरत-ए-यूसुफ़ है ये वक़्त-ए-अज़ीज़ 'मीर' उस को राएगाँ खोता है क्या 🙏🏻 मीर तकी मीर🙏🏻 ©Ram Yadav

#विचार #Chess  राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या 
आगे आगे देखिए होता है क्या 

क़ाफ़िले में सुब्ह के इक शोर है 
या'नी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या 

सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं 
तुख़्म-ए-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या 

ये निशान-ए-इश्क़ हैं जाते नहीं 
दाग़ छाती के अबस धोता है क्या 

ग़ैरत-ए-यूसुफ़ है ये वक़्त-ए-अज़ीज़ 
'मीर' उस को राएगाँ खोता है क्या


🙏🏻 मीर तकी मीर🙏🏻

©Ram Yadav

#Chess

13 Love

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