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New जर्शी गाईचे मुक्त गोठा Status, Photo, Video

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White आपके भीतर के बोझ से भारी और कुछ नहीं होता । आपके हर कार्य मैं रुकावटें पैदा करने वाला यही है। आपको इनसे शीघ्र मुक्त होने की जरूरत है । क्युकी इसकी वजह से किसी नए विचार का आगमन मन मैं हो ही नहीं सकता। यही आपकी असली PROBLUM हैं । जो आपके वक्त को बर्बाद करने के साथ साथ आपकी चीजों को Grow नही करने देता । इस लिए वक्त वक्त पर इनसे मुक्त होना भी जरुरी है,,,,,, मन का बोझ सबसे घातक,,, ©Vs Nagerkoti

#मोटिवेशनल #good_night  White आपके भीतर के बोझ से भारी और 
कुछ नहीं होता । आपके हर कार्य 
मैं रुकावटें पैदा करने वाला यही है।
आपको इनसे शीघ्र मुक्त होने की 
जरूरत है । क्युकी इसकी वजह से 
किसी नए विचार का आगमन मन 
मैं हो ही नहीं सकता। यही आपकी 
असली PROBLUM हैं । जो 
आपके वक्त को बर्बाद करने के 
साथ साथ आपकी चीजों को 
Grow नही करने देता । इस लिए 
वक्त वक्त पर इनसे मुक्त होना भी 
जरुरी है,,,,,,






मन का बोझ सबसे घातक,,,

©Vs Nagerkoti

#good_night हमेशा तनाव मुक्त जीवन ही हर कामयाबी को प्राप्त कर सकता है । जो चोट खा कर गिर गया सब कुछ ख़त्म ✨✨✨💯

10 Love

#मोटिवेशनल #Teacher

"दोष युक्त मानव के साथ रहा जाता है परन्तु दोष मुक्त दानव से दूर रहा जाता है." I'm a #Teacher 🙏🖊️🙏

126 View

#जयश्रीकृष्णा #happybirthday #radhekrishna #nojotohindi #janmashtami #Devotional

Dedicated this special for my sweet life line krishu bhai 🫠🫠🙂☺️🎂🎉🎉🍫🍫🎁🎁 हमारी व हमारे क्रिशु की ओर से आप सभी को जन्माष्टमी महोत्सव की हार्दिक

306 View

White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति #कविता  White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

13 Love

#मोटिवेशनल #Paris_Olympics_2024  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे 
मन को सभी  प्रकार से लगाने पर 
कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला 
ही मनुष्यों में बुद्धिमान् है, योगी है, 
और सम्पूर्ण कर्मों का करने वाला है, 
इसलिये वह इस कर्म रहस्य को 
समझ कर संसार बन्धन से सदा 
के लिए मुक्त हो जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#Paris_Olympics_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे मन को सभी प्रकार से लगाने पर कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला

117 View

White आपके भीतर के बोझ से भारी और कुछ नहीं होता । आपके हर कार्य मैं रुकावटें पैदा करने वाला यही है। आपको इनसे शीघ्र मुक्त होने की जरूरत है । क्युकी इसकी वजह से किसी नए विचार का आगमन मन मैं हो ही नहीं सकता। यही आपकी असली PROBLUM हैं । जो आपके वक्त को बर्बाद करने के साथ साथ आपकी चीजों को Grow नही करने देता । इस लिए वक्त वक्त पर इनसे मुक्त होना भी जरुरी है,,,,,, मन का बोझ सबसे घातक,,, ©Vs Nagerkoti

#मोटिवेशनल #good_night  White आपके भीतर के बोझ से भारी और 
कुछ नहीं होता । आपके हर कार्य 
मैं रुकावटें पैदा करने वाला यही है।
आपको इनसे शीघ्र मुक्त होने की 
जरूरत है । क्युकी इसकी वजह से 
किसी नए विचार का आगमन मन 
मैं हो ही नहीं सकता। यही आपकी 
असली PROBLUM हैं । जो 
आपके वक्त को बर्बाद करने के 
साथ साथ आपकी चीजों को 
Grow नही करने देता । इस लिए 
वक्त वक्त पर इनसे मुक्त होना भी 
जरुरी है,,,,,,






मन का बोझ सबसे घातक,,,

©Vs Nagerkoti

#good_night हमेशा तनाव मुक्त जीवन ही हर कामयाबी को प्राप्त कर सकता है । जो चोट खा कर गिर गया सब कुछ ख़त्म ✨✨✨💯

10 Love

#मोटिवेशनल #Teacher

"दोष युक्त मानव के साथ रहा जाता है परन्तु दोष मुक्त दानव से दूर रहा जाता है." I'm a #Teacher 🙏🖊️🙏

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#जयश्रीकृष्णा #happybirthday #radhekrishna #nojotohindi #janmashtami #Devotional

Dedicated this special for my sweet life line krishu bhai 🫠🫠🙂☺️🎂🎉🎉🍫🍫🎁🎁 हमारी व हमारे क्रिशु की ओर से आप सभी को जन्माष्टमी महोत्सव की हार्दिक

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White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति #कविता  White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

13 Love

#मोटिवेशनल #Paris_Olympics_2024  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे 
मन को सभी  प्रकार से लगाने पर 
कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला 
ही मनुष्यों में बुद्धिमान् है, योगी है, 
और सम्पूर्ण कर्मों का करने वाला है, 
इसलिये वह इस कर्म रहस्य को 
समझ कर संसार बन्धन से सदा 
के लिए मुक्त हो जाता है।

©N S Yadav GoldMine

#Paris_Olympics_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे मन को सभी प्रकार से लगाने पर कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला

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