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#वीडियो

किसानों ने खाद बीज पानी की उठाई मांग

180 View

#जीवन_संघर्ष #अत्याचारों #कहना_सुनना #खामोशियाँ #क्रूरताओं #सिसकियां  White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!!
सहना सहना आखिर कब तक!!??!!

क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में 
चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!!

प्रताड़नाओं की मार के आगे
दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!!

कहना सुनना आखिर कब तक !?!
रोना धोना आखिर कब तक!?!
 सहना सहना आखिर कब तक!?!

जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!?
प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!?

कब तक आखिर कब तक 
मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!??

©Rakesh frnds4ever

#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं

144 View

बीज की तरह होते हैं विचार, जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा . ©Mukesh Poonia

 बीज की तरह होते हैं विचार,
जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा



















.

©Mukesh Poonia

#Flower #बीज की तरह होते हैं #विचार, जैसा #बीज बोओगे वैसा ही #फल मिलेगा नये अच्छे विचार आज का विचार नये अच्छे विचार बेस्ट सुविचार अनमोल विचा

32 Love

White उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है ©Sk

#Motivational  White उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है

©Sk

उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है

11 Love

जग का पेट भरने की खातिर, बीज को चाहिए पानी मिट्टी l ©Dimple Kumar

#डायरी_के_पन्ने #अधूरी_तमन्ना #कुछ_तुम_कहो #कुछ_हम_कहें #कुछ_लफ्ज़ #कोई_आप_सा  जग का पेट भरने की खातिर,
बीज को चाहिए पानी मिट्टी l

©Dimple Kumar
#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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#वीडियो

किसानों ने खाद बीज पानी की उठाई मांग

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#जीवन_संघर्ष #अत्याचारों #कहना_सुनना #खामोशियाँ #क्रूरताओं #सिसकियां  White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!!
सहना सहना आखिर कब तक!!??!!

क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में 
चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!!

प्रताड़नाओं की मार के आगे
दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!!

कहना सुनना आखिर कब तक !?!
रोना धोना आखिर कब तक!?!
 सहना सहना आखिर कब तक!?!

जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!?
प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!?

कब तक आखिर कब तक 
मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!??

©Rakesh frnds4ever

#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं

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बीज की तरह होते हैं विचार, जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा . ©Mukesh Poonia

 बीज की तरह होते हैं विचार,
जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा



















.

©Mukesh Poonia

#Flower #बीज की तरह होते हैं #विचार, जैसा #बीज बोओगे वैसा ही #फल मिलेगा नये अच्छे विचार आज का विचार नये अच्छे विचार बेस्ट सुविचार अनमोल विचा

32 Love

White उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है ©Sk

#Motivational  White उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है

©Sk

उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है

11 Love

जग का पेट भरने की खातिर, बीज को चाहिए पानी मिट्टी l ©Dimple Kumar

#डायरी_के_पन्ने #अधूरी_तमन्ना #कुछ_तुम_कहो #कुछ_हम_कहें #कुछ_लफ्ज़ #कोई_आप_सा  जग का पेट भरने की खातिर,
बीज को चाहिए पानी मिट्टी l

©Dimple Kumar
#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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