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New परसत पद पावन सूखने सावन Status, Photo, Video

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White यशोदा कान्हो प्यारौ, चित्तचोर नंद दुलारौ । ऐसी मोहिनी डारि गयों नंदलाल, ज्यों जाल कोई मछली पर डारौ ।। हां हुयो अंधियारों भये घनश्याम, तेरौ घनश्याम दिख्यो नहीं सारौ । बांकी करे कटि कान्हो तेरौ औ, बजावत मुरली हरे चित्त मारौ ।।  चित्त चोरी लियौ चित्तचोर तेरौ, औ हरयो मन मोर मनोहर थारौ । हे सुनो नंद-भामिनि भोर तेरौ, हां उदित भयो है कदम्ब निहारौ ।। ले बैठ्यो वसन वो कदम्ब की डारन, बचावत कौन बिचार-बिचारौ । कहे ' राहुल ' लाज रखें ब्रजराज, सरे सब काज हृदय से पुकारौ...।।                                                                                 ~ राहुल 'राह़' ©Kavi Rahul Jangid

#पदावली #कृष्ण #भक्ति #Krishna #पद  White यशोदा कान्हो प्यारौ, चित्तचोर नंद दुलारौ ।

ऐसी मोहिनी डारि गयों नंदलाल, ज्यों जाल कोई मछली पर डारौ ।।

हां हुयो अंधियारों भये घनश्याम, तेरौ घनश्याम दिख्यो नहीं सारौ ।

बांकी करे कटि कान्हो तेरौ औ, बजावत मुरली हरे चित्त मारौ ।। 

चित्त चोरी लियौ चित्तचोर तेरौ, औ हरयो मन मोर मनोहर थारौ ।

हे सुनो नंद-भामिनि भोर तेरौ, हां उदित भयो है कदम्ब निहारौ ।।

ले बैठ्यो वसन वो कदम्ब की डारन, बचावत कौन बिचार-बिचारौ ।

कहे ' राहुल ' लाज रखें ब्रजराज, सरे सब काज हृदय से पुकारौ...।।


                                                                                ~ राहुल 'राह़'

©Kavi Rahul Jangid

यशोदा कान्हो प्यारौ... #Krishna #kanha #पदावली #पद #कृष्ण

17 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

207 View

#भक्ति #कबीर #BeatMusic #पद #Kabira #Hindi  "कबीर"
✍️✍️
#भक्ति

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अखंड पाठ रामायण

126 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

144 View

White यशोदा कान्हो प्यारौ, चित्तचोर नंद दुलारौ । ऐसी मोहिनी डारि गयों नंदलाल, ज्यों जाल कोई मछली पर डारौ ।। हां हुयो अंधियारों भये घनश्याम, तेरौ घनश्याम दिख्यो नहीं सारौ । बांकी करे कटि कान्हो तेरौ औ, बजावत मुरली हरे चित्त मारौ ।।  चित्त चोरी लियौ चित्तचोर तेरौ, औ हरयो मन मोर मनोहर थारौ । हे सुनो नंद-भामिनि भोर तेरौ, हां उदित भयो है कदम्ब निहारौ ।। ले बैठ्यो वसन वो कदम्ब की डारन, बचावत कौन बिचार-बिचारौ । कहे ' राहुल ' लाज रखें ब्रजराज, सरे सब काज हृदय से पुकारौ...।।                                                                                 ~ राहुल 'राह़' ©Kavi Rahul Jangid

#पदावली #कृष्ण #भक्ति #Krishna #पद  White यशोदा कान्हो प्यारौ, चित्तचोर नंद दुलारौ ।

ऐसी मोहिनी डारि गयों नंदलाल, ज्यों जाल कोई मछली पर डारौ ।।

हां हुयो अंधियारों भये घनश्याम, तेरौ घनश्याम दिख्यो नहीं सारौ ।

बांकी करे कटि कान्हो तेरौ औ, बजावत मुरली हरे चित्त मारौ ।। 

चित्त चोरी लियौ चित्तचोर तेरौ, औ हरयो मन मोर मनोहर थारौ ।

हे सुनो नंद-भामिनि भोर तेरौ, हां उदित भयो है कदम्ब निहारौ ।।

ले बैठ्यो वसन वो कदम्ब की डारन, बचावत कौन बिचार-बिचारौ ।

कहे ' राहुल ' लाज रखें ब्रजराज, सरे सब काज हृदय से पुकारौ...।।


                                                                                ~ राहुल 'राह़'

©Kavi Rahul Jangid

यशोदा कान्हो प्यारौ... #Krishna #kanha #पदावली #पद #कृष्ण

17 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

207 View

#भक्ति #कबीर #BeatMusic #पद #Kabira #Hindi  "कबीर"
✍️✍️
#भक्ति

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अखंड पाठ रामायण

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सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

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