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#SadStorytelling #SAD  ایسا نہیں ہوتا ، 
 Nasyan Shah

#SadStorytelling#SAD#poetry

126 View

sad poetry

162 View

White একলা ঝড়ের রাতে কেউ নেই মোর সাথে ঘাসের মধ্যে শুয়ে হাজার কষ্ট হাজার আশা ভুলে যাওয়া স্মৃতি খুন করে বসা যাচ্ছে না কেন ধুয়ে ফালতু কথার নোংরা ছুড়িতে কাটছে তোমার মনটাকে সে জানোয়ার টাকা পেলে আজ বেচে ফেলে তার বোন টাকে টাকা আমাদের কিনতে যে চায় টাকায় মানুষ গাঁথা টাকায় ভোলায় যৌন জ্বালা টাকাই নিভায় ব্যথা।। তোমার ঘরের লক্ষী সে যে অন্য ঘরের জ্বালা টাকাই লোক কে ক্ষমতায় এনে পড়াই জুতোর মালা। পাতলা কাগজ মূল্য অনেক ঝুকায় সবার মাথা বেসরকারি হোক বা রেন্ডি সবার মুখেই ঠাসা। ©SUBHOTHEPOET

#টাকা  White একলা ঝড়ের রাতে 
কেউ নেই মোর সাথে 
ঘাসের মধ্যে শুয়ে 
হাজার কষ্ট হাজার আশা 
ভুলে যাওয়া স্মৃতি খুন করে বসা 
যাচ্ছে না কেন ধুয়ে 
ফালতু কথার নোংরা ছুড়িতে 
কাটছে তোমার মনটাকে 
সে জানোয়ার টাকা পেলে আজ 
বেচে ফেলে তার বোন টাকে 
টাকা আমাদের কিনতে যে চায় 
টাকায় মানুষ গাঁথা 
টাকায় ভোলায় যৌন জ্বালা 
টাকাই নিভায় ব্যথা।।
তোমার ঘরের লক্ষী সে যে 
অন্য ঘরের জ্বালা 
টাকাই লোক কে ক্ষমতায় এনে 
পড়াই জুতোর মালা।
পাতলা কাগজ মূল্য অনেক 
ঝুকায় সবার মাথা 
বেসরকারি হোক বা রেন্ডি 
সবার মুখেই ঠাসা।

©SUBHOTHEPOET

#টাকা sad poetry

14 Love

sad poetry

117 View

#GoodMorning  White 🎉मैं दिहाड़ी मजदूर हूँ 
हाँ साहब मैं मजबूर हूँ 
सुबह घर से निकलता हूँ 
काम की तलाश मे 
मिल गया तो ठीक 
नहीं तो खाली हाथ
 घर लौट आता हूँ 
जब घर आता हूँ 
देहरी पर बैठ जाता हूँ 
घरवाली समझ जाती है 
शायद काम नहीं मिला 
वह भी बच्चों के साथ 
उदास बैठ जाती है 
ऐसा नहीं है की
 रोज काम नहीं मिलता 
कभी  कभी मिल भी जाता है 
उस दिन जब मैं दिहाड़ी लेकर 
शाम को घर आता हूँ 
घर मे त्यौहार जैसा माहौल
स्वता ही बन जाता है 
पत्नी ओर बच्चे सभी
जेबे टटोलते है 
उनकी ख़ुशी देखकर 
मे फूला नहीं समाता हूँ 
मै जितना कमाता हूँ 
शाम को ख़तम हो जाता है 
कभी कभी  बेबसी पर 
बहुत रोना आता है 
बच्चे पूछते है पापा 
हम स्कूल कब जायेंगे 
 साहब आप ही बताना 
मजदूर क्या नहाये 
ओर क्या निचोड़े 
वह  ऐसे ही मुफलिसी मैं 
अपने दिन गुजारता है 
लेकिन किसी के आगे 
हाथ नहीं पसारता है 
खुद्दारी मै ही अपने 
बचे कुचे दिन गुजारता है 🎉

©अक़श

#GoodMorning sad poetry

126 View

#SAD  White जाने वो कैसे लोग थे जिनके
प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी
काँटों का हार मिला
इसको ही जीना कहते हैं तो 
यूँही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे
आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी
काँटों का हार मिला

©Jyotilata Parida

#SAD poetry

324 View

#SadStorytelling #SAD  ایسا نہیں ہوتا ، 
 Nasyan Shah

#SadStorytelling#SAD#poetry

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sad poetry

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White একলা ঝড়ের রাতে কেউ নেই মোর সাথে ঘাসের মধ্যে শুয়ে হাজার কষ্ট হাজার আশা ভুলে যাওয়া স্মৃতি খুন করে বসা যাচ্ছে না কেন ধুয়ে ফালতু কথার নোংরা ছুড়িতে কাটছে তোমার মনটাকে সে জানোয়ার টাকা পেলে আজ বেচে ফেলে তার বোন টাকে টাকা আমাদের কিনতে যে চায় টাকায় মানুষ গাঁথা টাকায় ভোলায় যৌন জ্বালা টাকাই নিভায় ব্যথা।। তোমার ঘরের লক্ষী সে যে অন্য ঘরের জ্বালা টাকাই লোক কে ক্ষমতায় এনে পড়াই জুতোর মালা। পাতলা কাগজ মূল্য অনেক ঝুকায় সবার মাথা বেসরকারি হোক বা রেন্ডি সবার মুখেই ঠাসা। ©SUBHOTHEPOET

#টাকা  White একলা ঝড়ের রাতে 
কেউ নেই মোর সাথে 
ঘাসের মধ্যে শুয়ে 
হাজার কষ্ট হাজার আশা 
ভুলে যাওয়া স্মৃতি খুন করে বসা 
যাচ্ছে না কেন ধুয়ে 
ফালতু কথার নোংরা ছুড়িতে 
কাটছে তোমার মনটাকে 
সে জানোয়ার টাকা পেলে আজ 
বেচে ফেলে তার বোন টাকে 
টাকা আমাদের কিনতে যে চায় 
টাকায় মানুষ গাঁথা 
টাকায় ভোলায় যৌন জ্বালা 
টাকাই নিভায় ব্যথা।।
তোমার ঘরের লক্ষী সে যে 
অন্য ঘরের জ্বালা 
টাকাই লোক কে ক্ষমতায় এনে 
পড়াই জুতোর মালা।
পাতলা কাগজ মূল্য অনেক 
ঝুকায় সবার মাথা 
বেসরকারি হোক বা রেন্ডি 
সবার মুখেই ঠাসা।

©SUBHOTHEPOET

#টাকা sad poetry

14 Love

sad poetry

117 View

#GoodMorning  White 🎉मैं दिहाड़ी मजदूर हूँ 
हाँ साहब मैं मजबूर हूँ 
सुबह घर से निकलता हूँ 
काम की तलाश मे 
मिल गया तो ठीक 
नहीं तो खाली हाथ
 घर लौट आता हूँ 
जब घर आता हूँ 
देहरी पर बैठ जाता हूँ 
घरवाली समझ जाती है 
शायद काम नहीं मिला 
वह भी बच्चों के साथ 
उदास बैठ जाती है 
ऐसा नहीं है की
 रोज काम नहीं मिलता 
कभी  कभी मिल भी जाता है 
उस दिन जब मैं दिहाड़ी लेकर 
शाम को घर आता हूँ 
घर मे त्यौहार जैसा माहौल
स्वता ही बन जाता है 
पत्नी ओर बच्चे सभी
जेबे टटोलते है 
उनकी ख़ुशी देखकर 
मे फूला नहीं समाता हूँ 
मै जितना कमाता हूँ 
शाम को ख़तम हो जाता है 
कभी कभी  बेबसी पर 
बहुत रोना आता है 
बच्चे पूछते है पापा 
हम स्कूल कब जायेंगे 
 साहब आप ही बताना 
मजदूर क्या नहाये 
ओर क्या निचोड़े 
वह  ऐसे ही मुफलिसी मैं 
अपने दिन गुजारता है 
लेकिन किसी के आगे 
हाथ नहीं पसारता है 
खुद्दारी मै ही अपने 
बचे कुचे दिन गुजारता है 🎉

©अक़श

#GoodMorning sad poetry

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#SAD  White जाने वो कैसे लोग थे जिनके
प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी
काँटों का हार मिला
इसको ही जीना कहते हैं तो 
यूँही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे
आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी
काँटों का हार मिला

©Jyotilata Parida

#SAD poetry

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