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White पल्लव की डायरी लागत गाँवो में खेतों से निकलती नही धंधे पानी की सूरत वहाँ जमती नही मेहनत की कीमत कोई लगती नही चल पड़ता है कारवाँ शहरों की ओर खो जाता है चमक दमक में खुद अपना भाग्य आजमाता है कोई चढ़ता है तरक्की के आसमान कोई नॉकरी चाकरी तक रह जाता है पहचान यहाँ ,मतलब की है शहरों में कमीशन के बल पर फलता फूलता है इस तरह जीना जिसको आ गया वो ही सफलता की ओर बढ़ता जाता है प्रवीण जैन पल्लब ©Praveen Jain "पल्लव"

#nojotohindipoetry #कविता #Sad_Status  White पल्लव की डायरी
लागत गाँवो में खेतों से निकलती नही
धंधे पानी की सूरत वहाँ जमती नही
मेहनत की कीमत कोई लगती नही
चल पड़ता है कारवाँ शहरों की ओर
खो जाता है चमक दमक में खुद
अपना भाग्य आजमाता है
कोई चढ़ता है तरक्की के आसमान
कोई नॉकरी चाकरी तक रह जाता है
पहचान यहाँ ,मतलब की है शहरों में
कमीशन के बल पर फलता फूलता है
इस तरह जीना जिसको आ गया
वो ही सफलता की ओर बढ़ता जाता है
                                                  प्रवीण जैन पल्लब

©Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status कमीशन के बल पर फलता फूलता है शहर #nojotohindipoetry

21 Love

#नफरतों #शायरी #नज़र #कुछ #हुआ

White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh

 White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह  महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ...

©Lõkêsh

शहर…

11 Love

#विचार  White शहर में क्या है सिर्फ ऊंची इमारतें और छोटे मन वाले व्यक्ति जो पैसे के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त ना कर केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर देता है,परिवार का महत्व उसके लिए ज्यादा अहमियत वाला नहीं है।

©Satish Kumar Meena

शहर

135 View

#विचार  White आजकल शहर की हवा काजल की कोठरी जैसी है इसमें पता ही नहीं चलता कि बारिश के बादल छाए है या हवा धुएं से बीमार हैं।

©Satish Kumar Meena

शहर की हवा

99 View

#Sad_shayri #SAD  White मैं शहर हूं
अपने पराये से बेखबर हूं
हां, मैं शहर हूं
लाखों लोग बसे हैं मुझमें
लाखों ढूंढ रहें आसयाना
उन लाखों लोगों की मैं नजर हूं,
 मैं शहर हूं
अपने पराए से बेखबर हूं

©k. k

#Sad_shayri शहर 2

207 View

White पल्लव की डायरी लागत गाँवो में खेतों से निकलती नही धंधे पानी की सूरत वहाँ जमती नही मेहनत की कीमत कोई लगती नही चल पड़ता है कारवाँ शहरों की ओर खो जाता है चमक दमक में खुद अपना भाग्य आजमाता है कोई चढ़ता है तरक्की के आसमान कोई नॉकरी चाकरी तक रह जाता है पहचान यहाँ ,मतलब की है शहरों में कमीशन के बल पर फलता फूलता है इस तरह जीना जिसको आ गया वो ही सफलता की ओर बढ़ता जाता है प्रवीण जैन पल्लब ©Praveen Jain "पल्लव"

#nojotohindipoetry #कविता #Sad_Status  White पल्लव की डायरी
लागत गाँवो में खेतों से निकलती नही
धंधे पानी की सूरत वहाँ जमती नही
मेहनत की कीमत कोई लगती नही
चल पड़ता है कारवाँ शहरों की ओर
खो जाता है चमक दमक में खुद
अपना भाग्य आजमाता है
कोई चढ़ता है तरक्की के आसमान
कोई नॉकरी चाकरी तक रह जाता है
पहचान यहाँ ,मतलब की है शहरों में
कमीशन के बल पर फलता फूलता है
इस तरह जीना जिसको आ गया
वो ही सफलता की ओर बढ़ता जाता है
                                                  प्रवीण जैन पल्लब

©Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status कमीशन के बल पर फलता फूलता है शहर #nojotohindipoetry

21 Love

#नफरतों #शायरी #नज़र #कुछ #हुआ

White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh

 White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह  महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ...

©Lõkêsh

शहर…

11 Love

#विचार  White शहर में क्या है सिर्फ ऊंची इमारतें और छोटे मन वाले व्यक्ति जो पैसे के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त ना कर केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर देता है,परिवार का महत्व उसके लिए ज्यादा अहमियत वाला नहीं है।

©Satish Kumar Meena

शहर

135 View

#विचार  White आजकल शहर की हवा काजल की कोठरी जैसी है इसमें पता ही नहीं चलता कि बारिश के बादल छाए है या हवा धुएं से बीमार हैं।

©Satish Kumar Meena

शहर की हवा

99 View

#Sad_shayri #SAD  White मैं शहर हूं
अपने पराये से बेखबर हूं
हां, मैं शहर हूं
लाखों लोग बसे हैं मुझमें
लाखों ढूंढ रहें आसयाना
उन लाखों लोगों की मैं नजर हूं,
 मैं शहर हूं
अपने पराए से बेखबर हूं

©k. k

#Sad_shayri शहर 2

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