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White कौआ कोयल की आवाज को दबा सकता है लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी नहीं बोल सकता ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#विचार  White कौआ कोयल की आवाज को
दबा सकता है 
लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी
नहीं बोल सकता

©Dinesh Sharma Jind Haryana

मधुर वाणी

13 Love

 शोभा (दोहे)

शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात।
दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।।

कटु वचन नहीं बोलिये, हिय में होती पीर।
बाणों जैसे ही चुभें, खोते भी फिर धीर।।

क्या शोभा देती तुम्हें, जो देते हो तंज।
भान नहीं इसका तुम्हें, होता कितना रंज।।

मधुर वचन जो बोलते, ये शोभा है मान।
ऐसे ही जो तुम रहो, खुश होते भगवान।।

गलती पर जो डांँटते, ये उनका है फर्ज।
शोभा अपनी है यही, माने उनका कर्ज।।

शोभा ये जिससे बढ़े, उसे कहें संस्कार।
निश्छल निर्मल मन रहे, सुंदर हो व्यवहार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#शोभा #दोहे #nojotohindi #N_writes शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिय

252 View

दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति यह ,  वे ही थामें हाथ ।। कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ । चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।। सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास । हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।। रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण । अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।। मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास । उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।। गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान । जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद ।
कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।।

हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ ।
बस कर लो अनुभूति यह ,  वे ही थामें हाथ ।।

कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ ।
चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।।

सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास ।
हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।।

रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण ।
अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।।

मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास ।
उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।।

गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान ।
जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य

11 Love

#कविता #मचाओ

#मचाओ पुणे ओपन माइक प्रेम कविता

2,205 View

White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।

10 Love

रोला छन्द :- रिश्तों का आधार , समझ पाया क्या प्राणी । बोल मधुर क्या आज, बचे हैं उसकी वाणी  ।। रहे हृदय में भाव , उसे तुम मानव जानों । बाकी यह संसार , सदा कुंठित ही मानों ।। जीवन है अनमोल ,  अगर रिश्ते पहचानों । बिन अपनों के व्यर्थ , आप ये जीवन मानों ।। दादा-दादी नित्य , नेह की बारिश करते । मातु-पिता है देव , शरण हम उनकी पलते ।। फूफा-फूफी देख , खुशी घर में ले आते । नाना-नानी गाँव , सैर को हम सब जाते ।। रखो नही तुम मैल , कभी भी अपने मन में । हर रिश्ते का मान , करोगे तुम जीवन में ।। रिश्ते हैं आधार , हमारे इस जीवन के । वही खिलायें पुष्प , मनुज रूपी उपवन के ।। चलो सँवारे आज , सभी हम अपने रिश्ते । तोड़ स्वार्थ दीवार , उठायें जो हैं घिसते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  रोला छन्द :-
रिश्तों का आधार , समझ पाया क्या प्राणी ।
बोल मधुर क्या आज, बचे हैं उसकी वाणी  ।।
रहे हृदय में भाव , उसे तुम मानव जानों ।
बाकी यह संसार , सदा कुंठित ही मानों ।।
जीवन है अनमोल ,  अगर रिश्ते पहचानों ।
बिन अपनों के व्यर्थ , आप ये जीवन मानों ।।
दादा-दादी नित्य , नेह की बारिश करते ।
मातु-पिता है देव , शरण हम उनकी पलते ।।
फूफा-फूफी देख , खुशी घर में ले आते ।
नाना-नानी गाँव , सैर को हम सब जाते ।।
रखो नही तुम मैल , कभी भी अपने मन में ।
हर रिश्ते का मान , करोगे तुम जीवन में ।।
रिश्ते हैं आधार , हमारे इस जीवन के ।
वही खिलायें पुष्प , मनुज रूपी उपवन के ।।
चलो सँवारे आज , सभी हम अपने रिश्ते ।
तोड़ स्वार्थ दीवार , उठायें जो हैं घिसते ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- रिश्तों का आधार , समझ पाया क्या प्राणी । बोल मधुर क्या आज, बचे हैं उसकी वाणी  ।। रहे हृदय में भाव , उसे तुम मानव जानों । बाकी य

12 Love

White कौआ कोयल की आवाज को दबा सकता है लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी नहीं बोल सकता ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#विचार  White कौआ कोयल की आवाज को
दबा सकता है 
लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी
नहीं बोल सकता

©Dinesh Sharma Jind Haryana

मधुर वाणी

13 Love

 शोभा (दोहे)

शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात।
दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।।

कटु वचन नहीं बोलिये, हिय में होती पीर।
बाणों जैसे ही चुभें, खोते भी फिर धीर।।

क्या शोभा देती तुम्हें, जो देते हो तंज।
भान नहीं इसका तुम्हें, होता कितना रंज।।

मधुर वचन जो बोलते, ये शोभा है मान।
ऐसे ही जो तुम रहो, खुश होते भगवान।।

गलती पर जो डांँटते, ये उनका है फर्ज।
शोभा अपनी है यही, माने उनका कर्ज।।

शोभा ये जिससे बढ़े, उसे कहें संस्कार।
निश्छल निर्मल मन रहे, सुंदर हो व्यवहार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#शोभा #दोहे #nojotohindi #N_writes शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिय

252 View

दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति यह ,  वे ही थामें हाथ ।। कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ । चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।। सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास । हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।। रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण । अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।। मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास । उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।। गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान । जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद ।
कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।।

हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ ।
बस कर लो अनुभूति यह ,  वे ही थामें हाथ ।।

कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ ।
चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।।

सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास ।
हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।।

रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण ।
अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।।

मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास ।
उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।।

गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान ।
जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य

11 Love

#कविता #मचाओ

#मचाओ पुणे ओपन माइक प्रेम कविता

2,205 View

White त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।। शीतल चले बयार । रिमझिम पड़े फुहार । चलें गाँव इस बार ।। वह चाय की दुकान । उनका पास मकान । और हम मेहमान ।। सुनो सफल तब काज । मानो मेरी बात । जब दर्शन हो आज ।। धानी है परिधान । मुख पे है मुस्कान । यही एक पहचान ।। बड़ा मधुर परिवेश । कुछ पुल के अवशेष । जोगन वाला भेष ।। काले लम्बें केश । नाम सुनों विमलेश । चाहत उसमें शेष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White त्रिपदा छन्द

वट पीपल की छाँव ।
मिलती अपने गाँव ।
एक वही है ठाँव ।।

शीतल चले बयार ।
रिमझिम पड़े फुहार ।
चलें गाँव इस बार ।।

वह चाय की दुकान ।
उनका पास मकान ।
और हम मेहमान ।।

सुनो सफल तब काज ।
मानो मेरी बात ।
जब दर्शन हो आज ।।

धानी है परिधान ।
मुख पे है मुस्कान ।
यही एक पहचान ।।


बड़ा मधुर परिवेश ।
कुछ पुल के अवशेष ।
जोगन वाला भेष ।।

काले लम्बें केश ।
नाम सुनों विमलेश ।
चाहत उसमें शेष ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

त्रिपदा छन्द वट पीपल की छाँव । मिलती अपने गाँव । एक वही है ठाँव ।।

10 Love

रोला छन्द :- रिश्तों का आधार , समझ पाया क्या प्राणी । बोल मधुर क्या आज, बचे हैं उसकी वाणी  ।। रहे हृदय में भाव , उसे तुम मानव जानों । बाकी यह संसार , सदा कुंठित ही मानों ।। जीवन है अनमोल ,  अगर रिश्ते पहचानों । बिन अपनों के व्यर्थ , आप ये जीवन मानों ।। दादा-दादी नित्य , नेह की बारिश करते । मातु-पिता है देव , शरण हम उनकी पलते ।। फूफा-फूफी देख , खुशी घर में ले आते । नाना-नानी गाँव , सैर को हम सब जाते ।। रखो नही तुम मैल , कभी भी अपने मन में । हर रिश्ते का मान , करोगे तुम जीवन में ।। रिश्ते हैं आधार , हमारे इस जीवन के । वही खिलायें पुष्प , मनुज रूपी उपवन के ।। चलो सँवारे आज , सभी हम अपने रिश्ते । तोड़ स्वार्थ दीवार , उठायें जो हैं घिसते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  रोला छन्द :-
रिश्तों का आधार , समझ पाया क्या प्राणी ।
बोल मधुर क्या आज, बचे हैं उसकी वाणी  ।।
रहे हृदय में भाव , उसे तुम मानव जानों ।
बाकी यह संसार , सदा कुंठित ही मानों ।।
जीवन है अनमोल ,  अगर रिश्ते पहचानों ।
बिन अपनों के व्यर्थ , आप ये जीवन मानों ।।
दादा-दादी नित्य , नेह की बारिश करते ।
मातु-पिता है देव , शरण हम उनकी पलते ।।
फूफा-फूफी देख , खुशी घर में ले आते ।
नाना-नानी गाँव , सैर को हम सब जाते ।।
रखो नही तुम मैल , कभी भी अपने मन में ।
हर रिश्ते का मान , करोगे तुम जीवन में ।।
रिश्ते हैं आधार , हमारे इस जीवन के ।
वही खिलायें पुष्प , मनुज रूपी उपवन के ।।
चलो सँवारे आज , सभी हम अपने रिश्ते ।
तोड़ स्वार्थ दीवार , उठायें जो हैं घिसते ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- रिश्तों का आधार , समझ पाया क्या प्राणी । बोल मधुर क्या आज, बचे हैं उसकी वाणी  ।। रहे हृदय में भाव , उसे तुम मानव जानों । बाकी य

12 Love

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