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New pot vape pen 10 Status, Photo, Video

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#कॉमेडी

10 10 😂😂

135 View

#outoflove #Videos

#outoflove 10/10/24

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नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी सबका भला करे जय माता दी 🙏🌹 ©Rajesh kohli

#Bhakti  नवरात्रि का आठवां दिन 
मां महागौरी सबका भला करे
जय माता दी 🙏🌹

©Rajesh kohli

10/10/24

46 Love

#वीडियो

lot pot karne bali 10 video virle please follow me यूट्यूब वीडियो 'कॉमेडी वीडियो' वीडियो डाउनलोड

99 View

#CoLorful #Videos

##CoLorful pot

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(मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है ©संगीत कुमार

#कविता #pen  (मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार

#pen

12 Love

#कॉमेडी

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नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी सबका भला करे जय माता दी 🙏🌹 ©Rajesh kohli

#Bhakti  नवरात्रि का आठवां दिन 
मां महागौरी सबका भला करे
जय माता दी 🙏🌹

©Rajesh kohli

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(मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है ©संगीत कुमार

#कविता #pen  (मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार

#pen

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