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White किसी भी मनुष्य की वर्तमान मनोस्थिति का शुद्ध रूप 'मनःस्थिति' है ©neelu

#वर्तमान #मनुष्य #किसी #Sad_Status  White किसी भी मनुष्य की वर्तमान
मनोस्थिति का शुद्ध रूप 'मनःस्थिति' है

©neelu
#मोटिवेशनल #Motivation #mishra #vinod

"पुनर्स्थापना हेतु,देवगण उपद्रव की सभी सीमाएं लांघे जाने तक प्रतीक्षा करते हैं." @विनोद मिश्र मोटिवेशन 🙏🖊️🙏 "Deities wait for the chaos to r

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#मोटिवेशनल

मनुष्य के लिए उपयोगी बातें मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी ©person

#Bhakti  भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। 

देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी

©person

भक्ति में हैं शक्ति 🙏 ✝️🕉️☪️🪯☯️☮️☸️🕎 सकारात्मक सोच और गुण सही मार्ग पर ले जाता हैं मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सब

14 Love

#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #inspirdaily #RohanRoy  White मनुष्य हमेशा अपने जीवन में, सबसे ज्यादा 
कुछ होने की बजाय, 
कुछ नहीं होने की संदेह से, भयभीत होता है। इसलिए उसका मन वास्तविक चीजों को छोड़कर, काल्पनिक विचारों पर ज्यादा भरोसा करता है।

©Rohan Roy

मनुष्य हमेशा अपने जीवन में | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | positive life quote

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White किसी भी मनुष्य की वर्तमान मनोस्थिति का शुद्ध रूप 'मनःस्थिति' है ©neelu

#वर्तमान #मनुष्य #किसी #Sad_Status  White किसी भी मनुष्य की वर्तमान
मनोस्थिति का शुद्ध रूप 'मनःस्थिति' है

©neelu
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"पुनर्स्थापना हेतु,देवगण उपद्रव की सभी सीमाएं लांघे जाने तक प्रतीक्षा करते हैं." @विनोद मिश्र मोटिवेशन 🙏🖊️🙏 "Deities wait for the chaos to r

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#मोटिवेशनल

मनुष्य के लिए उपयोगी बातें मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
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भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी ©person

#Bhakti  भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। 

देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी

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भक्ति में हैं शक्ति 🙏 ✝️🕉️☪️🪯☯️☮️☸️🕎 सकारात्मक सोच और गुण सही मार्ग पर ले जाता हैं मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सब

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कुछ होने की बजाय, 
कुछ नहीं होने की संदेह से, भयभीत होता है। इसलिए उसका मन वास्तविक चीजों को छोड़कर, काल्पनिक विचारों पर ज्यादा भरोसा करता है।

©Rohan Roy

मनुष्य हमेशा अपने जीवन में | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | positive life quote

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