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New नारी तुम केवल श्रद्धा हो कविता Status, Photo, Video

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नारी तुम नाज़ुक ज़रूर हो, नासमझ नहीं

90 View

तुम कौन हो चले आते हो झांकने मेरे मन आँगन में ज़मी यादों को! चले आते हो उद्वेलित करने मेरे अंतर्द्वंद को, और मेरे विगत को मेरे सामने खड़ा कर, फिर, मुझे छोड जाते हो मेरी तन्हाइयों और मेरी मायूसियों में भटकता छोडकर... और तन्हा और अकेला!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  तुम कौन हो
चले आते हो झांकने
मेरे मन आँगन में ज़मी
यादों को!
चले आते हो उद्वेलित करने
मेरे अंतर्द्वंद को,
और मेरे विगत को मेरे
सामने खड़ा कर,
फिर, मुझे छोड जाते हो
मेरी तन्हाइयों और
मेरी मायूसियों में
भटकता छोडकर... 
और तन्हा और अकेला!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

कौन हो तुम

15 Love

काश ये युग भी सतयुग होता.. ना घुंघट की आढ होती , ना स्त्री कोई अभिशाप होती... ना बेटी-बेटे में अंतर होता, ना शिक्षा से कोई वंचित होता... ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता... ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता... उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है... मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है... हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं... क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं... क्या उसको जीने का अधिकार नहीं क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं... क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही, है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही... ©Kiran Ahir

 काश ये युग भी सतयुग होता..
ना घुंघट की आढ होती ,
ना स्त्री कोई अभिशाप होती...
ना बेटी-बेटे में अंतर होता,
ना शिक्षा से कोई वंचित होता...
ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता 
समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता...
ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता
और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता...
उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है 
गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है...
मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है 
फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है...
हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है
क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं...
क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं
क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं...
क्या उसको जीने का अधिकार नहीं 
क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं...
क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही,
है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही...

©Kiran Ahir

नारी

15 Love

जय माता दी 🌺🌺🌺 ©M R Mehata(रानिसीगं )

#लव  जय माता दी
🌺🌺🌺

©M R Mehata(रानिसीगं )

खयाल हो तुम.....

10 Love

#SAD  जब तुम साथ थी  
तब तुम एक थी, 
तुम्हे ढूँढना को
 तुम्हारे गली जाता था, 
बस जब तुम पास नही, 
अब तुम अनन्त हो गयी हो, 
कही भी दिख जाती हो, 
कही भी मिल जाती हो lll
🚫ADDICTED

©Radhey Ray

तुम कही भी हो सकती हो

243 View

White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही प्यास सारी। हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" स्वरूप नारी।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल #नारी  White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही 
प्यास सारी।

हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" 
 स्वरूप नारी।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

नारी तुम नाज़ुक ज़रूर हो, नासमझ नहीं

90 View

तुम कौन हो चले आते हो झांकने मेरे मन आँगन में ज़मी यादों को! चले आते हो उद्वेलित करने मेरे अंतर्द्वंद को, और मेरे विगत को मेरे सामने खड़ा कर, फिर, मुझे छोड जाते हो मेरी तन्हाइयों और मेरी मायूसियों में भटकता छोडकर... और तन्हा और अकेला!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  तुम कौन हो
चले आते हो झांकने
मेरे मन आँगन में ज़मी
यादों को!
चले आते हो उद्वेलित करने
मेरे अंतर्द्वंद को,
और मेरे विगत को मेरे
सामने खड़ा कर,
फिर, मुझे छोड जाते हो
मेरी तन्हाइयों और
मेरी मायूसियों में
भटकता छोडकर... 
और तन्हा और अकेला!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

कौन हो तुम

15 Love

काश ये युग भी सतयुग होता.. ना घुंघट की आढ होती , ना स्त्री कोई अभिशाप होती... ना बेटी-बेटे में अंतर होता, ना शिक्षा से कोई वंचित होता... ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता... ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता... उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है... मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है... हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं... क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं... क्या उसको जीने का अधिकार नहीं क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं... क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही, है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही... ©Kiran Ahir

 काश ये युग भी सतयुग होता..
ना घुंघट की आढ होती ,
ना स्त्री कोई अभिशाप होती...
ना बेटी-बेटे में अंतर होता,
ना शिक्षा से कोई वंचित होता...
ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता 
समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता...
ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता
और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता...
उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है 
गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है...
मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है 
फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है...
हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है
क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं...
क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं
क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं...
क्या उसको जीने का अधिकार नहीं 
क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं...
क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही,
है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही...

©Kiran Ahir

नारी

15 Love

जय माता दी 🌺🌺🌺 ©M R Mehata(रानिसीगं )

#लव  जय माता दी
🌺🌺🌺

©M R Mehata(रानिसीगं )

खयाल हो तुम.....

10 Love

#SAD  जब तुम साथ थी  
तब तुम एक थी, 
तुम्हे ढूँढना को
 तुम्हारे गली जाता था, 
बस जब तुम पास नही, 
अब तुम अनन्त हो गयी हो, 
कही भी दिख जाती हो, 
कही भी मिल जाती हो lll
🚫ADDICTED

©Radhey Ray

तुम कही भी हो सकती हो

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White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही प्यास सारी। हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" स्वरूप नारी।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल #नारी  White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही 
प्यास सारी।

हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" 
 स्वरूप नारी।।

©Abhishek tripathi#chgr@c
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