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चाँद तारों में फूल बहारों में

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White अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है ©Abhi Raj

#अशान्त #विचार #Couple  White अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है

©Abhi Raj

#Couple #अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है# सुविचार इन हिंदी

11 Love

#कॉमेडी

🤣🤣 यें अंधेरे में कौन है 🤣🤣

81 View

#वीडियो

"अंधेरे में छुपी आत्मा - भयानक रहस्य, लेखक और आत्मा की कहानी" - गहरे जंगल में एक पुराना घर, एक लेखक की तलाश, और एक खौफनाक रहस्य—क्या इस घर म

144 View

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

#raksha_bandhan_2024 #शायरी  White दर्द में और तू खुल के मुस्कुराना सीख ले
अपनी हसरतों को सबको जाताना सीख ले
अपनी कमियों को तू अपना हथियार बना
इस तरह जिदगी का कर्ज चुकाना सीख ले।।

©RSTM Tekam

#raksha_bandhan_2024 शायरी हिंदी में शायरी हिंदी में

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चाँद तारों में फूल बहारों में

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White अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है ©Abhi Raj

#अशान्त #विचार #Couple  White अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है

©Abhi Raj

#Couple #अशान्त मन से लोग उजाले में भी खो जाते हैं, जबकि शान्त चित्त वाला व्यक्ति अंधेरे में भी रास्ता ढूंढ लेता है# सुविचार इन हिंदी

11 Love

#कॉमेडी

🤣🤣 यें अंधेरे में कौन है 🤣🤣

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#वीडियो

"अंधेरे में छुपी आत्मा - भयानक रहस्य, लेखक और आत्मा की कहानी" - गहरे जंगल में एक पुराना घर, एक लेखक की तलाश, और एक खौफनाक रहस्य—क्या इस घर म

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#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

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©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

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#raksha_bandhan_2024 #शायरी  White दर्द में और तू खुल के मुस्कुराना सीख ले
अपनी हसरतों को सबको जाताना सीख ले
अपनी कमियों को तू अपना हथियार बना
इस तरह जिदगी का कर्ज चुकाना सीख ले।।

©RSTM Tekam

#raksha_bandhan_2024 शायरी हिंदी में शायरी हिंदी में

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