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#Quotes  White मुड़कर अब पीछे देखूँगी नहीं नए सफ़र में , 

जो छूट गया पीछे वो मेरा हमसफ़र कभी था ही नहीं।

©Vandana Rana

मुड़कर अब पीछे देखूँगी नहीं नए सफ़र में , जो छूट गया पीछे वो मेरा हमसफ़र कभी था ही नहीं।

108 View

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

White ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है  मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है  कभी  मिलकर नहीं होना जुदा है  मेरे मासूम दिल की यह दुआ है तुम्हारे प्यार में पीछे पड़ा है  करो अब माफ़ भी जिद पर अड़ा है  ज़माना इस तरह दुश्मन हुआ यह सभी को लग रही मेरी ख़ता है  जहाँ की आदतें बदली नहीं हैं  मेरा दिल इसलिए पीछे मुडा है  तुम्हीं बढ़कर हमारा हाथ थामों  ज़माना तो छुडाने पे तुला है  निभायेगी वही क़समें वफ़ा की  वही दिल की हमारे अब दवा है  न माँगूं प्यार की मैं भीख उनसे  हाँ मेरे साथ भी मेरा खुदा है  प्रखर की ज़िन्दगी का फैसला भी उन्हीं की मर्ज़ी पर आकर रुका है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल

मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है 
मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है 

कभी  मिलकर नहीं होना जुदा है 
मेरे मासूम दिल की यह दुआ है

तुम्हारे प्यार में पीछे पड़ा है 
करो अब माफ़ भी जिद पर अड़ा है 

ज़माना इस तरह दुश्मन हुआ यह
सभी को लग रही मेरी ख़ता है 

जहाँ की आदतें बदली नहीं हैं
 मेरा दिल इसलिए पीछे मुडा है 

तुम्हीं बढ़कर हमारा हाथ थामों 
ज़माना तो छुडाने पे तुला है 

निभायेगी वही क़समें वफ़ा की 
वही दिल की हमारे अब दवा है 

न माँगूं प्यार की मैं भीख उनसे 
हाँ मेरे साथ भी मेरा खुदा है 

प्रखर की ज़िन्दगी का फैसला भी
उन्हीं की मर्ज़ी पर आकर रुका है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है  मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है 

13 Love

सुना है उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का हम उसके दिल में दहशत पैदा न कर सके वो करता रहा हमसे बेवफाई हर वक्त हम उससे रिश्ता तोड़ने की जुर्रत न कर सके शायद उसको रास आ गई उसकी चापलूसियां उसे लगता है हम उसकी इज़्ज़त न कर सके सहते रहे हम उसके वो नखरे, वो जुल्म उसे लगता है हम उससे शफाकत न कर सके चाहते तो हम भी दे देते धोखा इश्क में मगर हम उससे दर्द भरी बातें न कर सके सुना है अभी अभी गुज़रा है वो करीब से मगर हम पीछे मुड़ने की जहमत न कर सके ©BROKENBOY

#Exploration  सुना है उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का
हम उसके दिल में दहशत पैदा न कर सके

वो करता रहा हमसे बेवफाई हर वक्त
हम उससे रिश्ता तोड़ने की जुर्रत न कर सके

शायद उसको रास आ गई उसकी चापलूसियां
उसे लगता है हम उसकी इज़्ज़त न कर सके

सहते रहे हम उसके वो नखरे, वो जुल्म
उसे लगता है हम उससे शफाकत न कर सके

चाहते तो हम भी दे देते धोखा इश्क में
मगर हम उससे दर्द भरी बातें न कर सके

सुना है अभी अभी गुज़रा है वो करीब से
मगर हम पीछे मुड़ने की जहमत न कर सके

©BROKENBOY

#Exploration सुना है उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का हम उसके दिल में दहशत पैदा न कर सके वो करता रहा हमसे बेवफाई हर वक्त हम उससे रिश्ता तोड़ने

12 Love

#moon_day  White रात की खामोशी में चमकता है,
चांदी का गोला, चाँद सजाता है,
नरम रोशनी, एक शांत किरण,
सपनों को मार्गदर्शित करती, 
धीमी लहर।
पुरानी कहानियों में बुनते साए,
एक समय की फुसफुसाहट, जो हो गए पराए,
सितारों के समुद्र में एक मशाल,
अनंत का प्रतीक, ऐसा सवाल।
चमक और अंधकार के दौर से गुजरता,
एक सच्चा दोस्त जो कभी न मुड़ता,
आकाश में अनंत प्रेरणा,
चांद दिवस पर, हम उठाते अपनी नज़रें ऊँचा।

©Nirankar Trivedi

रात की खामोशी में चमकता है, चांदी का गोला, चाँद सजाता है, नरम रोशनी, एक शांत किरण, सपनों को मार्गदर्शित करती, धीमी लहर।पुरानी कहानियों में ब

180 View

#Quotes  White मुड़कर अब पीछे देखूँगी नहीं नए सफ़र में , 

जो छूट गया पीछे वो मेरा हमसफ़र कभी था ही नहीं।

©Vandana Rana

मुड़कर अब पीछे देखूँगी नहीं नए सफ़र में , जो छूट गया पीछे वो मेरा हमसफ़र कभी था ही नहीं।

108 View

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

White ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है  मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है  कभी  मिलकर नहीं होना जुदा है  मेरे मासूम दिल की यह दुआ है तुम्हारे प्यार में पीछे पड़ा है  करो अब माफ़ भी जिद पर अड़ा है  ज़माना इस तरह दुश्मन हुआ यह सभी को लग रही मेरी ख़ता है  जहाँ की आदतें बदली नहीं हैं  मेरा दिल इसलिए पीछे मुडा है  तुम्हीं बढ़कर हमारा हाथ थामों  ज़माना तो छुडाने पे तुला है  निभायेगी वही क़समें वफ़ा की  वही दिल की हमारे अब दवा है  न माँगूं प्यार की मैं भीख उनसे  हाँ मेरे साथ भी मेरा खुदा है  प्रखर की ज़िन्दगी का फैसला भी उन्हीं की मर्ज़ी पर आकर रुका है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल

मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है 
मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है 

कभी  मिलकर नहीं होना जुदा है 
मेरे मासूम दिल की यह दुआ है

तुम्हारे प्यार में पीछे पड़ा है 
करो अब माफ़ भी जिद पर अड़ा है 

ज़माना इस तरह दुश्मन हुआ यह
सभी को लग रही मेरी ख़ता है 

जहाँ की आदतें बदली नहीं हैं
 मेरा दिल इसलिए पीछे मुडा है 

तुम्हीं बढ़कर हमारा हाथ थामों 
ज़माना तो छुडाने पे तुला है 

निभायेगी वही क़समें वफ़ा की 
वही दिल की हमारे अब दवा है 

न माँगूं प्यार की मैं भीख उनसे 
हाँ मेरे साथ भी मेरा खुदा है 

प्रखर की ज़िन्दगी का फैसला भी
उन्हीं की मर्ज़ी पर आकर रुका है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है  मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है 

13 Love

सुना है उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का हम उसके दिल में दहशत पैदा न कर सके वो करता रहा हमसे बेवफाई हर वक्त हम उससे रिश्ता तोड़ने की जुर्रत न कर सके शायद उसको रास आ गई उसकी चापलूसियां उसे लगता है हम उसकी इज़्ज़त न कर सके सहते रहे हम उसके वो नखरे, वो जुल्म उसे लगता है हम उससे शफाकत न कर सके चाहते तो हम भी दे देते धोखा इश्क में मगर हम उससे दर्द भरी बातें न कर सके सुना है अभी अभी गुज़रा है वो करीब से मगर हम पीछे मुड़ने की जहमत न कर सके ©BROKENBOY

#Exploration  सुना है उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का
हम उसके दिल में दहशत पैदा न कर सके

वो करता रहा हमसे बेवफाई हर वक्त
हम उससे रिश्ता तोड़ने की जुर्रत न कर सके

शायद उसको रास आ गई उसकी चापलूसियां
उसे लगता है हम उसकी इज़्ज़त न कर सके

सहते रहे हम उसके वो नखरे, वो जुल्म
उसे लगता है हम उससे शफाकत न कर सके

चाहते तो हम भी दे देते धोखा इश्क में
मगर हम उससे दर्द भरी बातें न कर सके

सुना है अभी अभी गुज़रा है वो करीब से
मगर हम पीछे मुड़ने की जहमत न कर सके

©BROKENBOY

#Exploration सुना है उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का हम उसके दिल में दहशत पैदा न कर सके वो करता रहा हमसे बेवफाई हर वक्त हम उससे रिश्ता तोड़ने

12 Love

#moon_day  White रात की खामोशी में चमकता है,
चांदी का गोला, चाँद सजाता है,
नरम रोशनी, एक शांत किरण,
सपनों को मार्गदर्शित करती, 
धीमी लहर।
पुरानी कहानियों में बुनते साए,
एक समय की फुसफुसाहट, जो हो गए पराए,
सितारों के समुद्र में एक मशाल,
अनंत का प्रतीक, ऐसा सवाल।
चमक और अंधकार के दौर से गुजरता,
एक सच्चा दोस्त जो कभी न मुड़ता,
आकाश में अनंत प्रेरणा,
चांद दिवस पर, हम उठाते अपनी नज़रें ऊँचा।

©Nirankar Trivedi

रात की खामोशी में चमकता है, चांदी का गोला, चाँद सजाता है, नरम रोशनी, एक शांत किरण, सपनों को मार्गदर्शित करती, धीमी लहर।पुरानी कहानियों में ब

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