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White नारी से संसार है, कहती हूं हर बार। नारी का सम्मान ही,हो जीवन आधार।। अद्भुत रचना ईश की, कैसे करूं बखान। नारी से संसार यह, ममता की है खान।। क्षमा दया जिसमें भरी, जो है मात समान। नारी से संसार है, देना उसको मान। नारी से संसार है, बात लीजिए मान। ठेस लगे उसको नहीं, रखना इसका ध्यान।। -निलम ©Nilam Agarwalla

#नारी_सम्मान #भक्ति  White 
नारी से संसार है, कहती हूं हर बार।
नारी का सम्मान ही,हो जीवन आधार।।

अद्भुत रचना ईश की, कैसे करूं बखान।
नारी से संसार यह, ममता की है खान।।

क्षमा दया जिसमें भरी, जो है मात समान।
नारी से संसार है, देना उसको मान।

नारी से संसार है, बात लीजिए मान।
ठेस लगे उसको नहीं, रखना इसका ध्यान।।

-निलम

©Nilam Agarwalla
#नारी_सम्मान
#विचार  नारी की शक्ति जब रौद्र रूप लेती हैं तो किसी की हिम्मत नहीं जो उस पर कटाक्ष कर सकें क्योंकि इस आदि रूप के समक्ष स्वयं महादेव भी सम्मान से झुक गए।

©Satish Kumar Meena

नारी शक्ति

81 View

काश ये युग भी सतयुग होता.. ना घुंघट की आढ होती , ना स्त्री कोई अभिशाप होती... ना बेटी-बेटे में अंतर होता, ना शिक्षा से कोई वंचित होता... ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता... ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता... उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है... मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है... हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं... क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं... क्या उसको जीने का अधिकार नहीं क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं... क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही, है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही... ©Kiran Ahir

 काश ये युग भी सतयुग होता..
ना घुंघट की आढ होती ,
ना स्त्री कोई अभिशाप होती...
ना बेटी-बेटे में अंतर होता,
ना शिक्षा से कोई वंचित होता...
ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता 
समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता...
ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता
और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता...
उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है 
गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है...
मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है 
फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है...
हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है
क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं...
क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं
क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं...
क्या उसको जीने का अधिकार नहीं 
क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं...
क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही,
है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही...

©Kiran Ahir

नारी

15 Love

#नारीशक्ति #एहसास #न्याय #विचार #नेहाç  White मिट्टी की मूरत से डरते हो ! 
क्यों , 
क्या वो नही दिखती 
धरती की जीवित नारियों में ! 
करते बहुत हो तुम सम्मान उनका , 
चढ़ाते फूल, माला और प्रसाद उनको ,
कभी हाथ जोड़, कभी घुटने टेक,
और कभी कभी शष्टांग करते 
हो प्रणाम उनको ! 
जब उनके लिए है सम्मान ,
जिनको मानते हो भगवान, देवी , नारी स्वरूप समान !
तब क्यों नही , उनके लिए 
जो चलती फिरती है धरती पे,
है सामने , तुम्हारे आस - पास
देवी , माता , नारी के रूप में ,
होती है , मां ,बहन समान ! 
क्या फर्क है इनमे ??
क्यों दे नही पाते , समान सम्मान ? 
पुछती हूं ? 
क्या फर्क है मिट्टी की मूरत "माता" में 
और आपने घरों की "मां" में ? 
क्यों ऐसा भेद भाव 
क्यों दे नही पाते समान सम्मान ?
     
○             #एहसास
                     #नेहाç

©juhi

White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही प्यास सारी। हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" स्वरूप नारी।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल #नारी  White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही 
प्यास सारी।

हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" 
 स्वरूप नारी।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

White नारी से संसार है, कहती हूं हर बार। नारी का सम्मान ही,हो जीवन आधार।। अद्भुत रचना ईश की, कैसे करूं बखान। नारी से संसार यह, ममता की है खान।। क्षमा दया जिसमें भरी, जो है मात समान। नारी से संसार है, देना उसको मान। नारी से संसार है, बात लीजिए मान। ठेस लगे उसको नहीं, रखना इसका ध्यान।। -निलम ©Nilam Agarwalla

#नारी_सम्मान #भक्ति  White 
नारी से संसार है, कहती हूं हर बार।
नारी का सम्मान ही,हो जीवन आधार।।

अद्भुत रचना ईश की, कैसे करूं बखान।
नारी से संसार यह, ममता की है खान।।

क्षमा दया जिसमें भरी, जो है मात समान।
नारी से संसार है, देना उसको मान।

नारी से संसार है, बात लीजिए मान।
ठेस लगे उसको नहीं, रखना इसका ध्यान।।

-निलम

©Nilam Agarwalla
#नारी_सम्मान
#विचार  नारी की शक्ति जब रौद्र रूप लेती हैं तो किसी की हिम्मत नहीं जो उस पर कटाक्ष कर सकें क्योंकि इस आदि रूप के समक्ष स्वयं महादेव भी सम्मान से झुक गए।

©Satish Kumar Meena

नारी शक्ति

81 View

काश ये युग भी सतयुग होता.. ना घुंघट की आढ होती , ना स्त्री कोई अभिशाप होती... ना बेटी-बेटे में अंतर होता, ना शिक्षा से कोई वंचित होता... ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता... ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता... उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है... मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है... हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं... क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं... क्या उसको जीने का अधिकार नहीं क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं... क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही, है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही... ©Kiran Ahir

 काश ये युग भी सतयुग होता..
ना घुंघट की आढ होती ,
ना स्त्री कोई अभिशाप होती...
ना बेटी-बेटे में अंतर होता,
ना शिक्षा से कोई वंचित होता...
ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता 
समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता...
ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता
और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता...
उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है 
गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है...
मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है 
फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है...
हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है
क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं...
क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं
क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं...
क्या उसको जीने का अधिकार नहीं 
क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं...
क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही,
है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही...

©Kiran Ahir

नारी

15 Love

#नारीशक्ति #एहसास #न्याय #विचार #नेहाç  White मिट्टी की मूरत से डरते हो ! 
क्यों , 
क्या वो नही दिखती 
धरती की जीवित नारियों में ! 
करते बहुत हो तुम सम्मान उनका , 
चढ़ाते फूल, माला और प्रसाद उनको ,
कभी हाथ जोड़, कभी घुटने टेक,
और कभी कभी शष्टांग करते 
हो प्रणाम उनको ! 
जब उनके लिए है सम्मान ,
जिनको मानते हो भगवान, देवी , नारी स्वरूप समान !
तब क्यों नही , उनके लिए 
जो चलती फिरती है धरती पे,
है सामने , तुम्हारे आस - पास
देवी , माता , नारी के रूप में ,
होती है , मां ,बहन समान ! 
क्या फर्क है इनमे ??
क्यों दे नही पाते , समान सम्मान ? 
पुछती हूं ? 
क्या फर्क है मिट्टी की मूरत "माता" में 
और आपने घरों की "मां" में ? 
क्यों ऐसा भेद भाव 
क्यों दे नही पाते समान सम्मान ?
     
○             #एहसास
                     #नेहाç

©juhi

White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही प्यास सारी। हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" स्वरूप नारी।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल #नारी  White चंद लम्हे खुद, के साथ वीता लो मिट जाएगी उठ रही 
प्यास सारी।

हकीकत तो, यही है ज्ञान की भंडार होती है "देवी" 
 स्वरूप नारी।।

©Abhishek tripathi#chgr@c
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