White एकांत
एक का अंत,
वो एक क्या है जिसका अंत किया ?
वो सीने में दबी एक आवाज है जो रह रह कर जाहिर होती है
कभी इस पथ की बातें करते हुए उस पथ का कर देती है
उम्मीद बांधती है कि जो हो रहा है सब सही है
और कुछ क्षण बाद उसी उम्मीद को धराशायी कर देती है
कभी मुझे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मानव बताती है
तो कभी मेरे मानव होने पर संशय पैदा करती है
मुस्कान के बादलों सी उड़ाए फिरती है
फिर कहीं दूर ले जाकर ग़म के समन्दरों में पटक देती है
परिस्थिति समझाने की कोशिशें करती रहती है
एकाएक उस परिस्थिति से अनभिज्ञ कर देती है
ऐसी बहुत सी आवाजें जो हर शख्स के अंदर है
उनका बेहतरीन तरीके से अंत 'एकांत में किया जा सकता है ,
थोड़ा कठिन होता है खुद को एकांत तक लाकर खड़ा करना ,
गर एक बार आ गए तो इससे सुखद कुछ नहीं ।
मैं अकेलेपन की बात हरगिज़ नही कर रहा हू ,
क्योंकि अकेलापन दुनिया से रुबरु ना होने का क्रम है
और एकांत स्वयं की उपज है स्वयं के लिए
जो खुद को बेहतर बनाती है ख़ुद के लिए ।
©Dr.Govind Hersal
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