tags

New आ जाओ Status, Photo, Video

Find the latest Status about आ जाओ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about आ जाओ.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#खुशियां #ख्यालों #घर_आंगन #मुझको #rkyadavquotes #rkyfrnds4ever  White मेरे ख्यालों की मल्लिका 
आए जो तू मेरे जीवन में 

 साथ चलो जो जीवन सफ़र में बनकर तुम जीवनसाथी
सपने सारे सच हो जाएं  , तुम दीपक मैं बाती

खुशियां मुझको भी मिल जाएं, मेरे घर का रस्ता मिल जाए उनको 
जो तुम घर आओ मेरे बनकर हमसाथी 

मेरे ख्यालों की मल्लिका आ जाओ जो तुम मेरे जीवन में 
सुख सारे मुझको मिल जाएं, रंग बिरंगी फूल खिल जाएं मेरे घर आंगन में

©Rakesh frnds4ever

#मेरे #ख्यालों की मल्लिका आए जो तू मेरे जीवन में साथ चलो जो #जीवन सफ़र में बनकर तुम जीवनसाथी #सपने सारे सच हो जाएं , तुम दीपक मैं बात

126 View

// छठ पर्व // कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई, सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई. भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी, कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी. डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला, घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला. अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे, अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें. कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. ©बेजुबान शायर shivkumar

 // छठ पर्व //


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई,
सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई.

भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी,
कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी.

डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला,
घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला.

अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे,
अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें.

कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

©बेजुबान शायर shivkumar

👏जय छठी माँ 👏 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से

18 Love

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में. ©s गोल्डी

 आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में"

पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में.

©s गोल्डी

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में.

10 Love

#शायरी #अ  White गणपति    बप्पा     मोरिया
देश   में   ये   क्या   होरिया

रात  तो  मुफ्त  में  दागी  है
दिन  में  नहीं  क्या  होरिया

काली लक्ष्मी हँसी खुशी है
खून      पसीना     रोरिया

महाकाल की नगरी में नर
रेप का विडिओ बनारिया

बप्पा  तुम  कब  आओगे
शिव  के  गण सब रोरिया

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

90 View

#Thinking  White तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ 
ये मौसम भी बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे ग़म है कि मैं ने ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया 
ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओये

दुनिया-भर के झगड़े घर के क़िस्से काम की बातें 
बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझ से तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे 
ज़माना मुझ से जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

©T4_tanya_

#Thinking बस आरजू है कि तुम मिलने आ जाओ.....

801 View

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

#खुशियां #ख्यालों #घर_आंगन #मुझको #rkyadavquotes #rkyfrnds4ever  White मेरे ख्यालों की मल्लिका 
आए जो तू मेरे जीवन में 

 साथ चलो जो जीवन सफ़र में बनकर तुम जीवनसाथी
सपने सारे सच हो जाएं  , तुम दीपक मैं बाती

खुशियां मुझको भी मिल जाएं, मेरे घर का रस्ता मिल जाए उनको 
जो तुम घर आओ मेरे बनकर हमसाथी 

मेरे ख्यालों की मल्लिका आ जाओ जो तुम मेरे जीवन में 
सुख सारे मुझको मिल जाएं, रंग बिरंगी फूल खिल जाएं मेरे घर आंगन में

©Rakesh frnds4ever

#मेरे #ख्यालों की मल्लिका आए जो तू मेरे जीवन में साथ चलो जो #जीवन सफ़र में बनकर तुम जीवनसाथी #सपने सारे सच हो जाएं , तुम दीपक मैं बात

126 View

// छठ पर्व // कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई, सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई. भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी, कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी. डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला, घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला. अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे, अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें. कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. ©बेजुबान शायर shivkumar

 // छठ पर्व //


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई,
सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई.

भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी,
कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी.

डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला,
घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला.

अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे,
अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें.

कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

©बेजुबान शायर shivkumar

👏जय छठी माँ 👏 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से

18 Love

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में. ©s गोल्डी

 आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में"

पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में.

©s गोल्डी

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में.

10 Love

#शायरी #अ  White गणपति    बप्पा     मोरिया
देश   में   ये   क्या   होरिया

रात  तो  मुफ्त  में  दागी  है
दिन  में  नहीं  क्या  होरिया

काली लक्ष्मी हँसी खुशी है
खून      पसीना     रोरिया

महाकाल की नगरी में नर
रेप का विडिओ बनारिया

बप्पा  तुम  कब  आओगे
शिव  के  गण सब रोरिया

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

90 View

#Thinking  White तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ 
ये मौसम भी बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे ग़म है कि मैं ने ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया 
ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओये

दुनिया-भर के झगड़े घर के क़िस्से काम की बातें 
बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझ से तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे 
ज़माना मुझ से जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

©T4_tanya_

#Thinking बस आरजू है कि तुम मिलने आ जाओ.....

801 View

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

Trending Topic