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New तिश्ना-ए-तक़रीर Status, Photo, Video

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White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

20 Love

रोते रोते मुस्कुराने का, हुनर सीख लेते हैं, ये औरतें हैं जनाब, सब कुछ सह लेते हैं। न जाने कहाँ से मिली, इन्हें ये ताकत है, जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं। अगर पहचान लें ये, और समझ लें, खुद के अपने ज़ज़्बात को, तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं। रोते रोते मुस्कुराने का, हुनर सीख लेते हैं, ये औरतें हैं जनाब, सब कुछ सह लेते हैं। ©Deepak "New Fly of Life"

#शायरी  रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।
न जाने कहाँ से मिली,
इन्हें ये ताकत है,
जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं।
अगर पहचान लें ये,
और समझ लें,
खुद के अपने ज़ज़्बात को,
तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं।
रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।

©Deepak "New Fly of Life"

शक्ति ए औरत

18 Love

#शायरी  माँगी थी दुआ एक आशियाने की, 
आँधियाँ चल पड़ी जमाने की! 
मेरे दर्द को कोई समझ ना सका, क्योंकि आदत थी मुझे मुस्कुराने की!!

©PRAKASH GOURH ~> Azamgarh

तासीर ए जहर

99 View

#तैयारी #कविता  White बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।


लाचारी, कोमलता, सहारा, सब छोड़ो,
मन, हृदय, देह को अब, वज्र कर लो।

भूलो मत, तुम नारी हो,
जन्म है तुम में समाया,
वक़्त है, अब मृत्यु को भी धारण कर लो।


कब तक सहोगे हिंसा, बलात्कार,
बन के वीरांगना सर को धड़ से,
अलग करने की कला सीख लो।


बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।

©Deepak "New Fly of Life"

#तैयारी ए हिफाज़त

153 View

लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला खूं ए शब्बीर से, खाक बन गई शिफा खूँ ए शब्बीर से।। सदा ये आती है ’मोहसिन’ खूं ए शब्बीर से, मातम है हक़ मेरा हुकुम ए नबी से।। ✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’ ©Murtaza Ali

#मातम  लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला
खूं ए शब्बीर से,
खाक  बन गई  शिफा
खूँ ए शब्बीर से।।
सदा ये आती है ’मोहसिन’
खूं ए शब्बीर से,
मातम है हक़ मेरा
हुकुम ए नबी से।।
✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali

#मातम ए शब्बीर

12 Love

#शायरी

ए जिंदगी

162 View

White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

20 Love

रोते रोते मुस्कुराने का, हुनर सीख लेते हैं, ये औरतें हैं जनाब, सब कुछ सह लेते हैं। न जाने कहाँ से मिली, इन्हें ये ताकत है, जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं। अगर पहचान लें ये, और समझ लें, खुद के अपने ज़ज़्बात को, तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं। रोते रोते मुस्कुराने का, हुनर सीख लेते हैं, ये औरतें हैं जनाब, सब कुछ सह लेते हैं। ©Deepak "New Fly of Life"

#शायरी  रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।
न जाने कहाँ से मिली,
इन्हें ये ताकत है,
जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं।
अगर पहचान लें ये,
और समझ लें,
खुद के अपने ज़ज़्बात को,
तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं।
रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।

©Deepak "New Fly of Life"

शक्ति ए औरत

18 Love

#शायरी  माँगी थी दुआ एक आशियाने की, 
आँधियाँ चल पड़ी जमाने की! 
मेरे दर्द को कोई समझ ना सका, क्योंकि आदत थी मुझे मुस्कुराने की!!

©PRAKASH GOURH ~> Azamgarh

तासीर ए जहर

99 View

#तैयारी #कविता  White बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।


लाचारी, कोमलता, सहारा, सब छोड़ो,
मन, हृदय, देह को अब, वज्र कर लो।

भूलो मत, तुम नारी हो,
जन्म है तुम में समाया,
वक़्त है, अब मृत्यु को भी धारण कर लो।


कब तक सहोगे हिंसा, बलात्कार,
बन के वीरांगना सर को धड़ से,
अलग करने की कला सीख लो।


बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।

©Deepak "New Fly of Life"

#तैयारी ए हिफाज़त

153 View

लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला खूं ए शब्बीर से, खाक बन गई शिफा खूँ ए शब्बीर से।। सदा ये आती है ’मोहसिन’ खूं ए शब्बीर से, मातम है हक़ मेरा हुकुम ए नबी से।। ✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’ ©Murtaza Ali

#मातम  लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला
खूं ए शब्बीर से,
खाक  बन गई  शिफा
खूँ ए शब्बीर से।।
सदा ये आती है ’मोहसिन’
खूं ए शब्बीर से,
मातम है हक़ मेरा
हुकुम ए नबी से।।
✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali

#मातम ए शब्बीर

12 Love

#शायरी

ए जिंदगी

162 View

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