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New नयी कविता के प्रमुख कवि Status, Photo, Video

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White शीर्षक -----कहां गए वो दिन साइकिल पर बैठकर पूरे परिवार का जाना, रिश्तों का हर दिन का दहलीज पर खिलखिलाना ll खीर बनाते से वो शक्कर का मांगना, पड़ोस के स्वाद चख कटोरिया बदल जाना ll कहां गए वो दिन जो सुकून सा लाते, आज की दुनिया में हम न बतलाते ll ©काव्य महारथी

#कविता #Sad_Status  White शीर्षक -----कहां गए वो दिन

साइकिल पर बैठकर 
पूरे परिवार का जाना,
रिश्तों का हर दिन का 
दहलीज पर खिलखिलाना ll

खीर बनाते से वो
शक्कर का मांगना,
पड़ोस के स्वाद चख
कटोरिया बदल जाना ll

कहां गए वो दिन
जो सुकून सा लाते,
आज की दुनिया 
में हम न बतलाते ll

©काव्य महारथी

#Sad_Status Piyush Yogi anuj Pankaj Pahwa " बादल राजपूत " कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी कविता बारिश पर कविता हिंदी दिवस पर कविता क

15 Love

#वीडियो

प्रमुख को किया सम्मानित

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White पता न पूछिये मुझ जैसे ग़म के मारे का.. नयी सड़क पे पुराना मक़ान है मेरा.. यूसुफ आर खान.... ©F M POETRY

#नयी  White पता न पूछिये मुझ जैसे ग़म के मारे का..

नयी सड़क पे पुराना मक़ान है मेरा..

यूसुफ आर खान....

©F M POETRY

#नयी सड़क पे पुराना मक़ान...

18 Love

White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है। जिससे सब पीड़ित हैं। राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है। ©निर्भय चौहान

#कविता #GoodMorning  White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है।
जिससे सब पीड़ित हैं।
राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। 
बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता 
यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है।

©निर्भय चौहान

#GoodMorning @Kumar Shaurya कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Madhusudan Shrivastava करम गोरखपुरिया @vandan sharma Islam कविता कोश मराठी कविता बारिश

18 Love

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

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#गुहादित्य #वीडियो #प्रमुख #शासकों #गूहिल

मेवाड़ राजवंश पार्ट 10 #गूहिल #वंश के #प्रमुख #शासकों का उल्लेख #गुहादित्य Entrance examination

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White शीर्षक -----कहां गए वो दिन साइकिल पर बैठकर पूरे परिवार का जाना, रिश्तों का हर दिन का दहलीज पर खिलखिलाना ll खीर बनाते से वो शक्कर का मांगना, पड़ोस के स्वाद चख कटोरिया बदल जाना ll कहां गए वो दिन जो सुकून सा लाते, आज की दुनिया में हम न बतलाते ll ©काव्य महारथी

#कविता #Sad_Status  White शीर्षक -----कहां गए वो दिन

साइकिल पर बैठकर 
पूरे परिवार का जाना,
रिश्तों का हर दिन का 
दहलीज पर खिलखिलाना ll

खीर बनाते से वो
शक्कर का मांगना,
पड़ोस के स्वाद चख
कटोरिया बदल जाना ll

कहां गए वो दिन
जो सुकून सा लाते,
आज की दुनिया 
में हम न बतलाते ll

©काव्य महारथी

#Sad_Status Piyush Yogi anuj Pankaj Pahwa " बादल राजपूत " कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी कविता बारिश पर कविता हिंदी दिवस पर कविता क

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#वीडियो

प्रमुख को किया सम्मानित

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White पता न पूछिये मुझ जैसे ग़म के मारे का.. नयी सड़क पे पुराना मक़ान है मेरा.. यूसुफ आर खान.... ©F M POETRY

#नयी  White पता न पूछिये मुझ जैसे ग़म के मारे का..

नयी सड़क पे पुराना मक़ान है मेरा..

यूसुफ आर खान....

©F M POETRY

#नयी सड़क पे पुराना मक़ान...

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White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है। जिससे सब पीड़ित हैं। राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है। ©निर्भय चौहान

#कविता #GoodMorning  White प्रेम जगत में प्राचीनतम अन्याय है।
जिससे सब पीड़ित हैं।
राजा भी ,प्रजा भी,किसान और व्यापारी भी व अन्य। 
बिना लिंगभेद के समान रूप से स्त्री पुरुष को प्रताड़ित करता 
यह अन्याय ही मनुष्य तथा देवता गढ़ता है।

©निर्भय चौहान

#GoodMorning @Kumar Shaurya कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Madhusudan Shrivastava करम गोरखपुरिया @vandan sharma Islam कविता कोश मराठी कविता बारिश

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White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

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#गुहादित्य #वीडियो #प्रमुख #शासकों #गूहिल

मेवाड़ राजवंश पार्ट 10 #गूहिल #वंश के #प्रमुख #शासकों का उल्लेख #गुहादित्य Entrance examination

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