White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द
जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप
इंसानों के काम आता हूं।
अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं,
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं
बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है,
फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है
मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना,
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी
करोगे मेरी देखभाल तो,
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l
©Akriti Tiwari
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