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White {Bolo Ji Radhey Radhey} केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता है, रोता हुआ जीवन जीता है, हमेशा शिकायत करता रहता है, और निराश रहता हुआ मर जाता है, निरास होकर ऐसे मर जाता है, जैसे भगवान ने कृपा गलत कर दी। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #good_night  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता
है, रोता हुआ जीवन जीता है,
हमेशा शिकायत करता रहता है,
और निराश रहता हुआ मर जाता है,
निरास होकर ऐसे मर जाता है,
जैसे भगवान ने कृपा गलत कर दी।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता है, रोता हुआ जीवन जीता है, हमेशा शिकायत करता रहता है, और निराश रहता हुआ मर

14 Love

#विचार #trendingreels #hindipoetry #Instagram #Broken

जिंदगी मे कभी निराश मत होना मेरे दोस्त 💯👍❤️🪔 #SAD #trendingreels #Instagram #viral #Broken #dost #hindipoetry #Reels

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White असफल व्यक्ति अहंकार से नहीं अनुभवों से भरा होता ..!! @वकील साहब ✍️ ©love you zindagi

#असफलता #निराशा #अनुभव #Sad_shayri #Quotes  White असफल व्यक्ति अहंकार से नहीं 
अनुभवों से भरा होता ..!!


@वकील साहब ✍️

©love you zindagi

White निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति। निराश होना अपने दुःख को खुद आमंत्रित करने जैसा है,। Being disappointed is like inviting your own suffering, धन्यवाद हर हर महादेव ©Mohan raj

 White 
निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।
निराश होना अपने दुःख को खुद आमंत्रित करने जैसा है,।
Being disappointed is like inviting your own suffering,
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj

Lessons निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।

18 Love

जिसमें तीन टी-शर्ट फाड़ने का दृश्य था, विक्रांत की छोटी उंगली में हल्की चोट लग गई थी। हालांकि, अब उनकी उंगली पहले से पूरी तरह ठीक हो गई है और जल्द ही फिटनेस ब्लॉग और वीडियो भी आपके सामने प्रस्तुत किए जाएंगे। आपके धैर्य और समर्थन के लिए धन्यवाद। सादर, विक्रांत राजलीवाल #VikrantRajliwal #FitnessGoals #TshirtPhadneKaScene #FitnessMotivation #WorkoutJourney #StayTuned #FitnessVlog #FitnessUpdate #ComingSoon #VikrantRajliwalShaktiKendra #StayHealthy #StayStrong ©Vikrant Rajliwal

#VikrantRajliwalShaktiKendra #मोटिवेशनल #TshirtPhadneKaScene #fitnessmotivation #vikrantrajliwal #WorkoutJourney  जिसमें तीन टी-शर्ट फाड़ने का दृश्य था, विक्रांत की छोटी उंगली में हल्की चोट लग गई थी। 

हालांकि, अब उनकी उंगली पहले से पूरी तरह ठीक हो गई है और जल्द ही फिटनेस ब्लॉग और वीडियो भी आपके सामने प्रस्तुत किए जाएंगे।

आपके धैर्य और समर्थन के लिए धन्यवाद।

सादर,  
विक्रांत राजलीवाल

#VikrantRajliwal #FitnessGoals #TshirtPhadneKaScene #FitnessMotivation #WorkoutJourney #StayTuned #FitnessVlog #FitnessUpdate #ComingSoon #VikrantRajliwalShaktiKendra #StayHealthy #StayStrong

©Vikrant Rajliwal

मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी Entrance examination मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्सजिसमें सूचना: Vikrant Rajliwal

18 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता है, रोता हुआ जीवन जीता है, हमेशा शिकायत करता रहता है, और निराश रहता हुआ मर जाता है, निरास होकर ऐसे मर जाता है, जैसे भगवान ने कृपा गलत कर दी। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #good_night  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता
है, रोता हुआ जीवन जीता है,
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और निराश रहता हुआ मर जाता है,
निरास होकर ऐसे मर जाता है,
जैसे भगवान ने कृपा गलत कर दी।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} केवल व्यक्ति ही रोता हुआ आता है, रोता हुआ जीवन जीता है, हमेशा शिकायत करता रहता है, और निराश रहता हुआ मर

14 Love

#विचार #trendingreels #hindipoetry #Instagram #Broken

जिंदगी मे कभी निराश मत होना मेरे दोस्त 💯👍❤️🪔 #SAD #trendingreels #Instagram #viral #Broken #dost #hindipoetry #Reels

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White असफल व्यक्ति अहंकार से नहीं अनुभवों से भरा होता ..!! @वकील साहब ✍️ ©love you zindagi

#असफलता #निराशा #अनुभव #Sad_shayri #Quotes  White असफल व्यक्ति अहंकार से नहीं 
अनुभवों से भरा होता ..!!


@वकील साहब ✍️

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White निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति। निराश होना अपने दुःख को खुद आमंत्रित करने जैसा है,। Being disappointed is like inviting your own suffering, धन्यवाद हर हर महादेव ©Mohan raj

 White 
निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।
निराश होना अपने दुःख को खुद आमंत्रित करने जैसा है,।
Being disappointed is like inviting your own suffering,
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj

Lessons निराशः भवितुं स्वस्य दुःखस्य आमन्त्रणं इव भवति।

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जिसमें तीन टी-शर्ट फाड़ने का दृश्य था, विक्रांत की छोटी उंगली में हल्की चोट लग गई थी। हालांकि, अब उनकी उंगली पहले से पूरी तरह ठीक हो गई है और जल्द ही फिटनेस ब्लॉग और वीडियो भी आपके सामने प्रस्तुत किए जाएंगे। आपके धैर्य और समर्थन के लिए धन्यवाद। सादर, विक्रांत राजलीवाल #VikrantRajliwal #FitnessGoals #TshirtPhadneKaScene #FitnessMotivation #WorkoutJourney #StayTuned #FitnessVlog #FitnessUpdate #ComingSoon #VikrantRajliwalShaktiKendra #StayHealthy #StayStrong ©Vikrant Rajliwal

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हालांकि, अब उनकी उंगली पहले से पूरी तरह ठीक हो गई है और जल्द ही फिटनेस ब्लॉग और वीडियो भी आपके सामने प्रस्तुत किए जाएंगे।

आपके धैर्य और समर्थन के लिए धन्यवाद।

सादर,  
विक्रांत राजलीवाल

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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

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